नजूल भूमि के हजारों पट्टाधारकों को मिली राहत…

उत्तराखंड। उत्तराखंड के शहरी निकाय क्षेत्रों में नजूल भूमि के हजारों पट्टाधारकों को प्रदेश सरकार ने बड़ी राहत दी है। वर्षों से नजूल पट्टों पर काबिज पट्टाधारकों अब अपने पट्टों को फ्रीहोल्ड करा सकेंगे। शुक्रवार को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। अध्यादेश के तहत पूर्व में बनी नजूल नीति को निरस्त करने का प्रावधान किया गया है। राज्य के देहरादून, ऊधमसिंह नगर व नैनीताल के नगरीय क्षेत्रों में काफी नजूल भूमि है। नजूल भूमि पर आम लोग वैध व अवैध रूप से काबिज हैं। इस भूमि का उपयोग राज्य व केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों और नगर निकायों व प्राधिकरणों द्वारा भी किया जा रहा है। अध्यादेश लाकर सरकार नजूल भूमि के बेहतर प्रबंधन और व्यवस्थापन करना चाहती है। उसका उद्देश्य है कि इस भूमि का उपयोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को किफायती आवास, स्वरोजगार के अवसर को सुरक्षित करने व पट्टाधारकों के हितों की सुरक्षा प्रदान करना है। केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण के तहत होने वाले छोटे-छोटे कार्यों को अब रफ्तार मिलेगी। सरकार ने उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली में एकल चयन प्रक्रिया में छूट दी है। इससे 75 लाख के काम एकल चयन से कराए जा सकेंगे। केदारनाथ के पुनर्निर्माण कार्यों के लिए वर्ष 2016 में सरकार ने उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली में एकल चयन प्रक्रिया के लिए छूट दी है। वर्ष 2019 में यह छूट खत्म हो गई है। केदारनाथ धाम में छोटे-छोटे कार्यों के लिए ठेकेदार नहीं मिलते हैं। केदारनाथ की विकट भौगोलिक परिस्थिति होने से निर्माण कार्यों को कराने में काफी दिक्कतें होती है। जिससे निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। अब 75 लाख के काम एकल चयन प्रक्रिया से कराए जा सकेंगे। टेंडर प्रक्रिया में एक ही ठेकेदार की ओर से टेंडर में भाग लेने पर उसे काम दिया जाएगा। बता दें कि केदारनाथ धाम में दूसरे चरण में 140 करोड़ के निर्माण कार्य होने हैं। सरकार ने काम में तेजी लाने के लिए सिंगल टेंडर पर 75 लाख तक के कार्य कराने का निर्णय लिया है।

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