नेपाल की नई प्रधानमंत्री बन सकती हैं सुशीला कार्की, मिल रहा युवाओं का समर्थन

Nepal: नेपाल की राजनीति इस समय बड़े उथल-पुथल से गुजर रही है. प्रधानमंत्री K.P. शर्मा ओली के इस्तीफ़े के बाद सत्ता का सवाल फिर से केंद्र में आ गया है. हाल ही में हुए Gen-Z प्रदर्शनों ने इस सत्ता संघर्ष को नई दिशा दे दी है. युवा आंदोलन की ताक़त से अब तक संसद और सड़कों पर कई नेताओं को चुनौती मिल चुकी है. इसी बीच सुर्ख़ियों में आईं नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (पूर्व) सुशीला कार्की, जिन्हें बड़ी संख्या में युवाओं का समर्थन मिल रहा है.

प्रधानमंत्री पद के लिए ये नाम भी चर्चा में

प्रधानमंत्री चुने जाने की प्रक्रिया आसान नहीं होगी. अगर सुशीला सहमत होती हैं तो उन्हें पहले नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगदेल और इसके बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से मिलकर मंजूरी लेनी होगी. सुशीला इसके बाद ही पीएम पद को संभाल सकेंगी. सुशीला के अलावा कई नाम प्रधानमंत्री पद के लिए चर्चा में हैं. अन्य संभावित नामों में कुलमन घीसिंग, सागर ढकाल और हरका संपांग हैं.

Gen-Z ने बढ़ाया था सुशीला कार्की के नाम

इस समूह ने सुशीला कार्की के नाम के बारे में सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल को सूचित किया है, जिन्होंने बुधवार को युवाओं से बात की थी. लेकिन कहा जा रहा है कि जनरल सिगडेल 12 अन्य समूहों से भी मिल रहे हैं, जो असली जेनरेशन-जेड होने का दावा कर रहे हैं. इनमें राजशाही समर्थक और अन्य समूह भी शामिल हैं, जिन्हें कई लोगों ने सोमवार की Gen-Z रैली में घुसपैठ करने वाला कहा था. इन समूहों की तरफ से कुछ और नाम भी सामने आए हैं.

कौन हैं सुशीला कार्की

सुशीला का जन्म 7 जून 1952 को बिरटनगर में हुआ था. उन्होंने राजनीति विज्ञान और कानून में पढ़ाई की, फिर वकालत और लीगल रिफॉर्म में करियर बनाया. उन्होंने 1972 में बिराटनगर के महेंद्र मोरंग कैंपस से बीए, 1975 में वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स की डिग्री और 1978 में नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की.

कार्की ने 1979 में बिराटनगर में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की और 1985 में धरान के महेंद्र मल्टीपल कैंपस में सहायक शिक्षक के रूप में काम किया. वे 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं. उन्हें 18 नवंबर 2010 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया. वे जुलाई 2016 से जून 2017 तक सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश के पद पर भी रहीं.

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