Parliament: ‘कांग्रेस का चरित्र भ्रष्टाचार का, हमारा वैसा नहीं’, लोकसभा में विपक्ष पर बरसे गृहमंत्री

Parliament Session: लोकसभा में लगातार दूसरे दिन हो रहे अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा कि चर्चा में सरकार के विरोध में कुछ मुद्दे तो रख देते। अल्पमत का तो सवाल ही नहीं है। देश के 60 करोड़ गरीबों को उनके जीवन में नई आशा का संचार अगर किसी ने दिया है तो वह मोदी सरकार ने दिया है। मैं भी देशभर में घूमता हूं, जनता के बीच जाता हूं। जनता के साथ कई जगह से संवाद किया है। कहीं पर भी अविश्वास की पतली झलक भी दिखाई नहीं देती है।

 

पीएम मोदी है देश के सबसे लोकप्रिय प्रंधानमंत्री

गृह मंत्री ने कहा, ‘पूरे देश की जनता को बताना चाहता हूं कि आजादी के बाद कोई एक सरकार पर किसी को जनता पर विश्वास है तो वह मोदी सरकार है। दो तिहाई बहुमत से दो-दो बार एनडीए को चुना गया। पूर्ण बहुमत से दो-दो बार भाजपा को चुना गया। 30 साल बाद पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार देने का काम हमने किया। ये प्रधानमंत्री ऐसे हैं जो आजादी के बाद देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं।

पीएम मोदी के नौ साल में 50 फैसले युगांतकारी

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आजादी के बाद सबसे ज्यादा एक भी छुट्टी लिए बगैर 24 घंटे में से 17 घंटे काम करने वाला कोई प्रधानमंत्री अगर है तो वह नरेंद्र मोदी हैं। आजादी के बाद सबसे ज्यादा किलोमीटर और सबसे ज्यादा दिन प्रवास करने वाला कोई प्रधानमंत्री है तो वह नरेंद्र मोदी हैं। बरसों सरकार चलती है तो दो-चार निर्णय ही ऐसे होते हैं जो युगों तक याद किए जाते हैं। मोदी सरकार के नौ साल में कम से कम 50 फैसले ऐसे हैं, जो युगांतकारी हैं।

मोदी जी ने आज तीनों को भारत छोड़ने का नारा दिया
गृह मंत्री ने कहा कि आज ही के दिन गांधी जी ने नारा दिया था कि अंग्रेजों भारत छोड़ो। साढ़े नौ साल में मोदी जी ने नए प्रकार के राजनीतिक युग की शुरुआत की। तीस साल से राजनीति भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टीकरण के नासूर से ग्रसित रही। मोदी जी ने पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस को तरजीह दी। मगर फिर भी कहीं दूर तक भ्रष्टाचार भी बैठा है, परिवारवाद दिखाई ही देता है और तुष्टीकरण की राजनीति दिखाई देती है। इसलिए मोदी जी ने आज तीनों को भारत छोड़ने का नारा दिया है।

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कांग्रेस का मूल सिद्धांत है येन केन प्रकारेण सत्ता में बने रहना

अमित शाह ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव संवैधानिक प्रक्रिया है, हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है। इससे राजनीतिक दलों और पार्टियों के चरित्र उजागर होते हैं। मैं तीन प्रस्तावों का जरूर जिक्र करना चाहूंगा। दो प्रस्ताव हम लेकर आए थे, एक एनडीए सरकार के खिलाफ आया। जुलाई 1993 में नरसिंह राव जी की सरकार थी, अविश्वास प्रस्ताव आया। कांग्रेस का मूल सिद्धांत है येन केन प्रकारेण सत्ता में बने रहना। नरसिंह राव जी की सरकार जीत गई, लेकिन बाद में कई लोगों को जेल की सजा हुई क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को घूस देकर यह जीत हासिल की गई। 2018 में मनमोहन सिंह जी विश्वास प्रस्ताव लेकर आए, सांसदों को करोड़ों रुपये की घूस देने पड़ी। हमारे सांसद रुपया लेकर सामने आई। उन्होंने सरकार बचा ली।

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इसके सामने दूसरा उदाहरण है 1999 का। अटलजी की सरकार के समय अविश्वास प्रस्ताव आया। जो कांग्रेस ने किया, वह हम कर सकते थे। नरसिंह राव जी साबित कर चुके थे कि करोड़ों रुपये देकर सरकार बचाई जा सकती है। अटलजी ने यहीं बैठकर कहा कि संसद के फैसले को सिर पर चढ़ाऊंगा। सिर्फ एक वोट से सरकार गई। हम यूपीए और कांग्रेस की तरह सरकार बचा सकते थे। कांग्रेस का चरित्र भ्रष्टाचार का है, हमारा चरित्र वैसा नहीं है। एक ही वोट का फर्क था। एनडीए सरकार ने स्पीकर के पद की गरिमा का भी पालन किया था। हमारी सरकार चली गई। जनता है जो सब देखती है, सब जानती है। एक वोट से हमारी सरकार गई, लेकिन अंत में क्या हुआ? बहुत बड़े बहुमत के साथ अटलजी फिर से देश के प्रधानमंत्री बने। अटलजी के नेतृत्व में तब और मोदी जी के नेतृत्व में हम सिद्धांतों की राजनीति बचाने के लिए यहां हैं।

 

 

 

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