Delhi news: दिल्ली के लाल किला के पास 10 नवंबर को हुए बम धमाके की जांच के दौरान एक बड़ी जानकारी सामने आई है. जांच एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि जैश से जुड़े फिदायीन हमलावर डॉ. उमर ने शायद ‘’शू-बम’’ (जूता बम) का इस्तेमाल कर धमाके को अंजाम दिया है. बम विस्फोट में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 20 से अधिक लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं.
नेपाल और यूपी से खरीदे गए मोबाइल फोन व 17 सिमकार्ड
धमाके को अंजाम देने के लिए जिन मोबाइल फोन और सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया था, उसे यूपी के कानपुर और पड़ोसी मुल्क नेपाल से खरीदा गया था. सूत्रों की माने तो ब्लास्ट को अंजाम देने के लिए नेपाल से छह पुराने मोबाइल खरीदे गए थे. इनके लिए 17 सिम कार्ड का इंतजाम किया गया.
जांच में हुआ बड़ा खुलासा
जांच अधिकारियों के अनुसार, डॉक्टर उमर की भूमिका इस मॉड्यूल में सबसे अहम थी. हर बार जब डॉक्टर उमर अमोनियम नाइट्रेट, ट्रायएसिटोन ट्राइपरॉक्साइड (TATP) या कोई अन्य केमिकल खरीदता था, तो उसकी विस्तृत जानकारी ग्रुप में डाली जाती थी कि कितनी मात्रा खरीदी गई, किस स्रोत से ली गई और आगे इसकी तैयारी कैसे होगी. डिजिटल फुटप्रिंट्स से स्पष्ट हुआ है कि अमोनियम नाइट्रेट, TATP, सल्फर डाईऑक्साइड समेत अधिकांश विस्फोटक केमिकल और टाइमर, वायर जैसे उपकरणों की खरीद उमर ने ही की थी.
आत्मघाती हमलों पर उमर का विवादास्पद तर्क
वीडियो में उमर ने आत्मघाती हमलों की अवधारणा को गलत समझे जाने का दावा किया है. उसका कहना है कि लोग इस विचार की मूल भावना को समझने में असफल रहते हैं कि आत्मघाती बम विस्फोट का असली मतलब क्या है. उसने स्वीकार किया कि इसके खिलाफ कई तरह के विरोधाभास और अनगिनत तर्क मौजूद हैं.
आतंकी वानी का खुलासा
आतंकी वानी को पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हिरासत में लिया था और पूछताछ में उसने खुलासा किया था कि मॉड्यूल के अन्य लोग उसे प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के लिए ओवर-ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) बनाना चाहते थे, जबकि उमर कई महीनों से उसका ब्रेनवॉश कर आत्मघाती हमलावर बनने के लिए तैयार कर रहा था. एजेंसी के मुताबिक उमर की यह कोशिश इस साल अप्रैल में उस समय नाकाम हो गई जब वानी ने अपनी खराब आर्थिक स्थिति और इस्लाम में आत्महत्या को निषिद्ध मानने का हवाला देते हुए इससे इंकार कर दिया था.
कई सालों सा चल रही थी प्लानिंग
एनआईए के मुताबिक आत्मघाती हमलावर बनाने की मुहिम की साजिश जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े अंतरराज्यीय आतंकी नेटवर्क की जांच में एक खतरनाक आयाम जोड़ती है. जम्मू-कश्मीर पुलिस को वानी ने पूछताछ के दौरान बताया कि उमर में बदलाव 2021 में सह-आरोपी डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई के साथ तुर्किये की यात्रा के बाद आया, जहां दोनों कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद के ओजीडब्ल्यू से मिले थे.
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