Ministry of Health: सीबीआई ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अधिकारियों, बिचौलियों और निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जो कथित तौर पर भ्रष्टाचार और मेडिकल कॉलेजों को नियंत्रित करने वाले नियामक ढांचे में अवैध हेरफेर सहित कई “घोर” कृत्यों में शामिल थे.
यह नेटवर्क मेडिकल कॉलेजों से सांठगांठ करके मंत्रालय में चल रही प्रक्रिया और फाइलों की जानकारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को मुहैया कराता था. मामले में सीबीआई ने 14 सरकारी अफसरों समेत 34 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.
लाखों रुपये की रिश्वत का आदान-प्रदान
एफआईआर में कहा गया है कि कॉलेज और बिचौलिए ने बेहतर निरीक्षण रिपोर्ट हासिल करने के लिए निरीक्षण टीम को रिश्वत देते, गैर-मौजूद या प्रॉक्सी फैकल्टी की तैनाती करते और निरीक्षण के दौरान फर्जी रोगियों के भर्ती करते थे. सीबीआई ने कहा कि एनएमसी टीमों, बिचौलियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के बीच लाखों रुपये की रिश्वत का आदान-प्रदान किया जा रहा है. इसे हवाला के जरिए भेजा जा रहा है और मंदिर निर्माण के नाम पर किए गए रिश्वत सहित कई उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.
इन लोगों पर एफआईआर दर्ज
सीबीआई की एफआईआर में स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के एक अधिकारी और राष्ट्रीय चिकित्सा आयुक्त (एनएमसी) निरीक्षण दल से जुड़े पांच डॉक्टरों के नाम हैं. इसके अलावा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के चेयरमैन डीपी सिंह, गीतांजलि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार मयूर रावल, रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के चेयरमैन रविशंकर जी महाराज और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया का भी नाम शामिल है.
आठ लोग किए जा चुके गिरफ्तार
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हाल ही में इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें एनएमसी टीम के तीन डॉक्टर भी शामिल हैं. इन पर नया रायपुर स्थित रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च को बेहतर रिपोर्ट देने के लिए 55 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है.
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