केंद्र के अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोर्ट के कहने पर हम एलजी के पास गए थे और तीन नाम सौंपे गए थे। इस दौरान डीआरईसी के चेयरमैन की नियुक्ति के मुद्दे पर सहमति नहीं बनी थी। इसलिए अब सुप्रीम कोर्ट ही इस मामले को तय करे। वहीं, सुनवाई के दौरान एलजी का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट फैसला दे। वहीं, सीजेआई ने दोनों पक्षों की मांग सुनते हुए कहा कि हम इस तरह DERC चेयरमैन नियुक्त नहीं कर सकते। सीजेआई ने अध्यादेश को लेकर कहा कि हम इसे संविधान पीठ के पास भेजेंगे, शाम तक आदेश जारी करेंगे।
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले और पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश का विरोध कर रही है। दिल्ली सरकार का कहना है कि यह अध्यादेश दिल्ली में निर्वाचित सरकार को सर्विस मामले पर नियंत्रण देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।
वहीं, दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अध्यादेश मामले को संविधान पीठ भेजने की जरूरत नहीं है। संविधान पीठ के किसी भी संदर्भ से पूरी व्यवस्था ठप हो जाएगी। क्योंकि इसमें समय लगेगा। यानी कि अभी अफसरों की ट्रांसफर व पोस्टिंग को लेकर अध्यादेश पर फिलहाल रोक नहीं है। मामले को पांच जजों के संविधान पीठ को भेज दिया गया है। यानी कि संविधान पीठ को ना भेजे जाने की दिल्ली सरकार की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है।
दरसल, केंद्र के अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा अध्यादेश का मामला संविधान पीठ को भेज दिया, जहां पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। दिल्ली सरकार ने इस अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह संकेत दिया था कि इस मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजा जा सकता है।