Operation Meghdoot: सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाता है. यह भारत पाकिस्तान के सीमा के पास हिमालय में पूर्वी काराकोरम श्रेणी में स्थित है. जो उत्तर-उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-दक्षिण-पूर्व में 70 किमी तक विस्तारित है.
आपको बता दें कि साल 1984 में भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा किया था. हालांकि पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जा करना चाहता था और उसने इसके लिए ‘ऑपरेशन अबाबील’ चलाया था. जिसके जवाब में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन मेघदूत‘ (Operation Meghdoot) को अंजाम दिया. 13 अप्रैल 1984 को सियाचिन में सेना ने भारत का झंडा लहरा दिया.
Operation Meghdoot: क्या था ‘ऑपरेशन मेघदूत’
- दरअसल, ‘ऑपरेशन मेघदूत’ (Operation Meghdoot) भारतीय सेना के शौर्य बल की गाथा है. 13 अप्रैल 1984, ये वो दिन था, जब इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था.
- भले ही ऑपरेशन मेघदूत 1984 में शुरू हुआ था, लेकिन भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर 1978 से ही सियाचिन ग्लेशियर में काम कर रहे थे. इस दौरान वायु सेना का चेतक हेलीकॉप्टर अक्टूबर 1978 में सियाचिन ग्लेशियर में उतरने वाला पहला IAF हेलीकॉप्टर बना था.
- भारत और पाकिस्तान में बटवारे के दौरान जो समझौता हुआ था, उसमें युद्धविराम रेखा सियाचिन ग्लेशियर के लिए अस्थाई थी. उस वक्त किसी ने ये नहीं सोचा था कि इतनी ऊंचाई पर भी सैन्य अभियान हो सकता है.
- इसके बाद 1982 में पाकिस्तान ने अपनी औकात दिखानी शुरू कर दी. तत्कालीन उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल चिब्बर को पाक की ओर से पत्र आने लगे, जिसमें भारत को सियाचिन ग्लेशियर से दूर रहने को कहा जा रहा था. इससे भारतीय सेना स्तर्क हो गई और उसने 1983 की गर्मियों के दौरान भी ग्लेशियर पर गश्त जारी रखी.
- वहीं, खुफिया रिपोर्ट के माध्यम से भारतीय सेना समझ गई कि पाक की नियत खराब हो रही है. क्योंकि खुफिया इंपुट में बताया गया था कि पाक सियाचिन पर कब्जा करने के फिराक में है.
- इस जानकारी के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ (Operation Meghdoot) शुरू किया. इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इजाजत दी थी.
Operation Meghdoot: कैसे चला ‘ऑपरेशन मेघदूत’?
पाकिस्तान की ओर से भारत को सियाचिन से बाहर रहने की चेतावनी मिलने के बाद से ही भारतीय सेना ने 1983 की गर्मियों के दौरान ग्लेशियर पर गश्त जारी रखने का फैसला किया. इसके बाद जून और सितंबर 1983 के बीच सेना के दो मजबूत गश्ती दलों ने ग्लेशियर का दौरा किया, जिनमें से दूसरे ने एक छोटी सी झोपड़ी बना ली. तब पाकिस्तानियों ने इसका जोरदार विरोध किया. फिर दोनों पक्षों के बीच विरोध पत्रों और जवाबी पत्रों का सिलसिला सा चलता रहा.
वहीं, भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) उत्तरी लद्दाख क्षेत्र की ऊंचाइयों को सुरक्षित करने के लिए सियाचिन ग्लेशियर की ओर बढ़ती रही. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना द्वारा भारतीय सेना के जवानों को एयरलिफ्ट करना और उन्हें हिमनद चोटियों पर छोड़ना शामिल था.
ऑपरेशन मेघदूत में एक IAF के रणनीतिक एयरलिफ्टर्स ने खाद्य पदार्थ और सैनिकों को पहुंचाया और ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्रों में कई चीजों की आपूर्ति की. इसी प्रका जल्द ही, करीब 300 सैनिक ग्लेशियर की महत्वपूर्ण चोटियों पर तैनात हो गए. जब तक पाकिस्तानी सेना कोई हमला बोलती, तब तक भारतीय सेना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पर्वत चोटियों पर कब्जा कर चुकी थी, जिससे उसे बड़ा लाभ मिला.
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