कोलंबिया में ज्वालामुखी का ऑरेंज अलर्ट, 2500 परिवारों की जान पर खतरा

कोलंबिया। नेवाडो डेल रुइज़ ज्वालामुखी एक बार फिर जाग गया है। जिससे कोलंबिया में 2500 परिवार के लोगों के जान पर खतरा मंडरा रहा है। आपके जानकारी के लिए बता दें कि इस ज्वालामुखी को पश्चिमी गोलार्ध में आई सबसे बड़ी आपदाओं में से एक के लिए जिम्मेदार माना गया है। यह 38 साल से सोया हुआ था। लेकिन इसके एक बार फिर जगने से कोलंबिया सरकार की नींद हराम हो गई है। सरकार इसके संभावित विस्फोट के लिए निगरानी कर रही और आस-पास के इलाके को खाली कराया जा रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि सरकार ज्वालामुखी के निकट रहने वाले लगभग 2,500 परिवारों को निकालने की कोशिश कर रही है। लेकिन कुछ लोग अपना घर छोड़ने से इनकार कर रहे हैं। कोलंबिया की सरकार इन लोगों को यहां से हटने के लिए मना रही है। नेवाडो डेल रुइज़ ज्वालामुखी बोगोटा के पश्चिम में करीब 80 मील की दूरी पर स्थित है। वर्ष 1985 में ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट से  कोलंबिया की अब तक की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा में 25,000 से अधिक लोगों की जान चली गयी थी। इस आपदा में पृथ्वी के भूस्खलन और चट्टान के टुकड़े पूरी बस्तियों को दफन कर गए।

भूकंपीय गतिविधि में वृद्धि के बाद सरकार ने ज्वालामुखी के चेतावनी स्तर को ऑरेंज तक बढ़ा दिया। भूकंपीय गतिविधि ने आने वाले दिनों या हफ्तों में विस्फोट की संभावना को बढ़ा दिया है। ग्लोबल वॉल्कैनिज़्म प्रोग्राम के द्वारा बताया गया कि 30 मार्च को करीब 11,600 भूकंपों का पता चला था। राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने इलाके को खाली करने के अभियान को और तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कहा है। वहीं आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने कहा है कि पशुधन जो ग्रामीण क्षेत्र में कई आजीविकाओं के लिए महत्वपूर्ण है को भी स्थानांतरित किया जा सकता है। या किसानों को उनकी देखभाल के लिए दिन के दौरान लौटने की अनुमति दी जा सकती है।

हांलाकि नेवाडो डेल रुइज़ ज्वालामुखी द्वारा विनाशकारी 1985 विस्फोट से बचने वाले परिवारों सहित कुछ निवासियों का कहना है कि वह यहां से नहीं जाएंगे। यह निवासी तोलिमा और कैलदास प्रांतों के बीच की सीमा पर फैले हुए हैं।

अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ 1985 के विस्फोट से बचे एक आलू किसान एवेलियो ऑर्टिज़ ने बताया गया कि  ‘इससे मुझे डर नहीं लगता क्योंकि यह पहले ही फट चुका है। जो खत्म होना था, वो हो चुका है।’ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के मुताबिक लगभग 57,000 लोग ज्वालामुखी के खतरनाक क्षेत्र में रहते हैं। जो छह प्रांतों के हिस्सों में फैले हुए हैं। अधिकारियों द्वारा बताया गया कि इस इलाके को खाली कराना आवश्यक है। क्योंकि खराब संचार बुनियादी ढांचे से ज्वालामुखी के निकटतम रहने वाले लोगों से संपर्क करना मुश्किल हो सकता है। स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन के अनुसार 1985 की त्रासदी मानव इतिहास में चौथा सबसे घातक ज्वालामुखी विस्फोट है।

 

 

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