नई दिल्ली। पाकिस्तान की तरफ से ‘हथियार व ड्रग्स’ लेकर भारतीय सीमा में आने वाले ड्रोन का खेल जल्द ही खत्म हो सकता है। इस दिशा में केंद्रीय गृह मंत्रालय कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। पंजाब और जम्मू कश्मीर से लगते बॉर्डर पर तीन माड्यूल के अंतर्गत ट्रायल जारी है। सूत्रों का कहना है कि ड्रोन को खत्म करने की जिस तकनीक पर काम हो रहा है, उसमें काफी हद तक सफलता मिल रही है। ट्रायल के फाइनल नतीजों का विश्लेषण करने के बाद एंटी ड्रोन तकनीक को देश के सभी बॉर्डर पर लगाया जाएगा।
गिराए जा रहे हथियार, कारतूस और ड्रग्स के पैकेट
आपको बता दें कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ द्वारा पंजाब में लगातार ड्रोन भेजे जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में भी ऐसे मामले सामने आए हैं। ड्रोन के जरिए हथियार, कारतूस और ड्रग्स के पैकेट गिराए जाते हैं। वर्ष 2021 और 2022 में ड्रोन को मार गिराए जाने के आंकड़ों की तुलना 2023 के साथ करें, तो वह संख्या बहुत उत्साहवर्धक है। विभिन्न तरीके से लगभग आठ दर्जन ड्रोन को पकड़ पाने में सफलता मिली है। इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान से पंजाब में आए दिन ड्रोन के जरिए भेजे जा रहे ड्रग्स के पैकेट जब्त किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, ड्रग्स को लेकर पंजाब सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय की रणनीति के अनुसार काम कर रही है। पंजाब में बीएसएफ, एनसीबी और पुलिस, ये तीनों पूर्ण समन्वय के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान से आने वाले ज्यादातर ड्रोन चीन निर्मित होते हैं।
ये ड्रोन, बीएसएफ की नजरों से बच जाएं, इसलिए इनकी तकनीक में कुछ बदलाव किया जाता है। कहीं पर ड्रोन की आवाज बंद कर दी जाती है, तो कुछ ड्रोन की सिग्नल लाइट को हटा दिया जाता है। पंजाब से लगते भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर सर्दियों में जब घना कोहरा छाया था, तब दर्जनों ड्रोन आए थे। उस वक्त ड्रोन की ऊंचाई ज्यादा रखी जाती थी। आवाज और ब्लिंकर को भी कंट्रोल कर देते थे। बीएसएफ ने पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में जो ड्रोन गिराए हैं, उनकी लंबाई छह फुट तक रही है। कुछ ड्रोन तो 25 हजार mAh की बैटरी वाले भी मिले हैं। ऐसे ड्रोन की मदद से 20-25 किलोग्राम सामान कहीं पर पहुंचाया जा सकता है।
‘एडीएस‘ लगे वाहन खरीदे जाएंगे
पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सर्विलांस के लिए बीएसएफ द्वारा ‘सीआईबीएमएस’ का ट्रायल किया जा रहा है। पाकिस्तान की तरफ से आने वाले ड्रोन का पता लगाने के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम ‘एडीएस’ लगे वाहनों की खरीद प्रक्रिया जारी है। इस सिस्टम की मदद से भारतीय सीमा में रात को या धुंध के दौरान आने वाले ड्रोन का भी पता लगाया जा सकेगा। बीएसएफ के पास इस्राइल निर्मित 21 ‘लांग रेंज रीकानिसंस एंड ऑब्जरवेशन सिस्टम’ (लोरोस) हैं। इसके जरिए दिन में 12 किमी दूर से किसी मानव का पता लगाया जाता है। अब बीस किमी की रेंज वाले ‘लोरोस या एचएचटीआई’ खरीदने की तैयारी चल रही है। बीएसएफ को बहुत जल्द 546 ‘एचएचटीआई’ (अनकूल्ड) लांग रेंज वर्जन कैमरे मिल जाएंगे। इसके अलावा 878 ‘एचएचटीआई’ कैमरे, जिनमें 842 (अनकूल्ड) और 36 (कूल्ड) कैमरे खरीदने की प्रक्रिया चल रही है।
2290 किमी लंबे बॉर्डर का रोडमैप तैयार
‘व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली’ (सीआईबीएमएस) के माध्यम से बॉर्डर चौकसी को और ज्यादा पुख्ता बनाया जा रहा है। बीएसएफ में सीआईबीएमएस, मैनपावर, विभिन्न तरीके के सेंसर और नेटवर्क का एक समन्वित प्रयास है। इस तकनीकी सिस्टम को लगाने के लिए सीमा सुरक्षा बल ने अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के 2290 किमी लंबे हिस्से पर रोडमैप तैयार किया है। इस प्रस्ताव पर काम शुरू हो गया है। योजना के पहले चरण में जम्मू और पंजाब फ्रंटियर के 310 किमी हिस्से को कवर किया जाएगा। दूसरे चरण में 575 किमी लंबी सीमा रेखा पर यह सिस्टम लगेगा। तीसरे चरण के तहत राजस्थान और गुजरात से लगती पाकिस्तान की सीमा पर सीआईबीएमएस को लगाया जाएगा।
5500 अतिरिक्त कैमरे लगाने की प्रक्रिया जारी
योजना के चौथे चरण में 964 किमी लंबा बॉर्डर कवर होगा। इसमें उत्तरी बंगाल और गुवाहाटी फ्रंटियर शामिल रहेगा। कम कीमत वाले सर्विलांस सिस्टम ‘एलसीटीएस’ में पीटीजेड कैमरा, सीसीटीवी ‘स्टेटिक’ कैमरा और आईआरआईडीएस तकनीक शामिल रहेगी। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के इस प्रोजेक्ट के तहत 635 प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं। इनके अलावा बल के सात फ्रंटियर, जिसमें जम्मू, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, दक्षिण बंगाल, उत्तर बंगाल और गुवाहाटी शामिल हैं, के अंतर्गत 484 किमी लंबा बॉर्डर कवर होगा। सीमा पर घुसपैठ और ड्रोन गतिविधियों पर निगरानी के लिए 5500 अतिरिक्त कैमरे लगाने की प्रक्रिया जारी है।