इन योगासनों के अभ्‍यास से जोड़ों के दर्द से मिलती है राहत…

योग। आजकल की गड़बड़ जीवनशैली के कारण कम उम्र में ही लोग जोड़ों में दर्द और कठोरता की समस्या के शिकार हो जा रहे हैं। आर्थराइटिस वर्तमान समय की सामान्य समस्या है। इसमें कॉर्टिलेज ऊतक की सामान्य मात्रा में कमी हो जाती है।

इस स्थिति के कारण हड्डियों के जोड़ विशेषकर घुटनों में तेज दर्द, सूजन और कठोरता महसूस होती रहती है। आर्थराइटिस की समस्या को एक दशक पहले तक उम्र बढ़ने के साथ होने वाली परेशानियों के रूप में जाना जाता था, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में 40 से कम आयु के लोग भी इस समस्या से परेशान देखे जा रहे हैं।

जोड़ों में दर्द और सूजन की स्थिति आपको चलने-उठने में भी दिक्कतों का एहसास करा सकती है, जिसके कारण लोगों के लिए दैनिक जीवन के सामान्य कार्यों को करना भी कठिन हो सकता है। जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या से राहत पाने के लिए कम उम्र से ही दिनचर्या में योगासनों को जरूर शामिल करें। कई तरह के योगासन शरीर की सक्रियता को बढ़ाने के साथ दर्द और सूजन से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। आइए ऐसे ही कुछ योगाभ्यासों के बारे में जानते हैं।

वीरभद्रासन योग:-
जोड़ों की समस्याओं को कम करने के लिए वीरभद्रासन योग का अभ्यास विशेष लाभदायक हो सकता है। जिन लोगों को गठिया या फ्रोजन शोल्डर की समस्या होती है, उनको भी इस योगाभ्यास से लक्षणों में राहत मिल सकती है। रक्त के संचार को बढ़ावा देने के साथ मांसपेशियों को आराम दिलाने के लिए इस योग का नियमित अभ्यास किया जाना चाहिए।

वृक्षासन योग:-
शारीरिक मुद्रा और समन्व्य को सुधारने के लिए वृक्षासन योग का अभ्यास करना लाभदायक हो सकता है। यह योग आपके पैरों और पीठ को मजबूत करता है। पैरों की स्ट्रेचिंग करने के साथ लिगामेंट्स और टेंडन्स को मजबूत करने में यह योगासन मदद कर सकता है। गठिया के लक्षणों से राहत दिलाने में इस योग के नियमित अभ्यास के लाभ पाए गए हैं।

ब्रिज पोज योग:-
पीठ की मांसपेशियों, छाती, गर्दन और रीढ़ की स्ट्रेचिंग के लिए ब्रिज पोज या सेतुबंधासन का अभ्यास आपके लिए विशेष लाभकारी आसन माना जाता है। पीठ दर्द से राहत दिलाने में मदद करने के साथ ऑस्टियोपोरोसिस वाले लोगों के लिए यह अभ्यास अच्छा माना जाता है। कमर और शरीर के निचले हिस्सों में रक्त के संचार को बढ़ाने और मांसपेशियों को मजबूती देने के लिए रोजाना इस योग का अभ्यास करना चाहिए। आर्थराइटिस वाले लोगों के लिए यह बेहद कारगर अभ्यास हो सकता है।

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