मदर्स डे के खास मौके पर पढ़ें आलोक श्रीवास्तव की कविता

अजब-गजब। आलोक श्रीवास्तव ने पत्रकारिता के साथ-साथ फिल्मी दुनिया में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। गीत-गज़ल में भी एक मुकाम पाने वाले आलोक श्रीवास्तव ने रावण रचित शिवतांडव स्त्रोत का हिंदी अनुवाद किया है और इसे प्रसिद्ध कलाकार आशुतोष राणा ने अपने स्वर दिए हैं। तो चलिए पढ़ते है इनकी कविता को..

चिंतन, दर्शन, जीवन, सर्जन, रूह, नज़र पर छाई अम्मा
सारे घर का शोर-शराबा, सूनापन, तनहाई अम्मा।

सारे रिश्ते जेठ-दुपहरी, गर्म-हवा, आतिश, अंगारे
झरना, दरिया, झील, समंदर, भीनी-सी पुरवाई अम्मा।

उसने ख़ुद को खोकर; मुझ में एक नया आकार लिया है
धरती, अंबर, आग, हवा, जल जैसी ही सच्चाई अम्मा।

घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके-चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई अम्मा।

बाबूजी गुज़रे, आपस में सब चीजे तक़्सीम हुईं, तब
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा।

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