नई दिल्ली। वायरल इंफेक्शन की रोकथाम के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ चिकित्सा अध्ययन शुरू होंगे। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की टास्क फोर्स से मंजूरी मिलने के बाद पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को नोडल केंद्र घोषित किया गया है।
आईसीएमआर के इस प्रस्ताव को वैज्ञानिक काफी महत्वपूर्ण बता रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार वायरल संक्रमण सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए लगातार खतरा पैदा कर रहा है। यह संकट न सिर्फ भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर नजर आ रहा है। भविष्य में वायरल बीमारियों के प्रकोप से बचने के लिए जरूरी है कि हम समय रहते बुनियादी ढांचा और प्रासंगिक अनुसंधान पर जोर दें।
देश भर में आईसीएमआर के करीब 28 संस्थान मिलकर इस अध्ययन को पूरा करेंगे जिसमें वायरल इंफेक्शन की रोकथाम को लेकर नई तकनीकों पर काम किया जाएगा। साथ ही, इन बीमारियों की समय पर जांच और उपचार किस तरह किया जाए? इसके बारे में भी पता लगाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत खोज, विकास या वितरण पर ध्यान देने के साथ उच्च वैज्ञानिक प्रभाव वाली परियोजनाएं और प्रौद्योगिकियों को प्राथमिकता दी जाएगी। आईसीएमआर के अनुसार, जिस प्रकार कोरोना महामारी में देश के सभी अनुसंधान केंद्रों ने मिलकर सहयोग दिया था।
आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीरज अग्रवाल का कहना है कि देश की आबादी में कितने तरह का वायरल इंफेक्शन प्रसारित है? इसके बारे में कोई सही आंकड़ा मौजूद नहीं है। जन स्वास्थ्य के लिहाज से यह प्रोजेक्ट कई मायने में अहम है जिसे हाल ही में टास्क फोर्स की अनुमति मिली है। उन्होंने बताया कि आईसीएमआर के अधीन सभी अनुसंधान केंद्रों को पत्र जारी कर सूचना दी गई है। साथ ही, इसके लिए एक टीम गठित करने की अपील भी की है।