रिसर्च। ग्लेशियर के पिघलने का रहस्य पेंसिल जितने पतले रोबोट ने पता लगा लिया है। 13 फुट लंबा आईसफिन नामक रोबोट ने तैरते हुए अंटार्कटिक में डूम्सडे के नीचे उस जगह पहुंचा, जहां समुद्र का पानी बर्फ बनना शुरू होता है। यह जगह करीब 1925 फुट नीचे थी। वैज्ञानिकों ने देखा कि बर्फ की यह परत सिर्फ पिघल नहीं रही, बल्कि टूट-टूटकर अलग हो रही है।
ओशनोग्राफर पीटर डेविस ने बताया कि ग्लेशियरों का पिघलना उसके नीचे हो रही प्रक्रिया का नतीजा भी हो सकता है, जहां गर्म पानी के बुलबुले बनते हैं। शोधार्थी एरिन पेटिट ने कहा कि हमने पांच साल पहले जो सोचा था, उसके बदलने की रफ्तार उससे कहीं ज्यादा है। मुझे तो लगता है कि आने वाले कुछ वर्षों में यह और भी बदलेगी और तेज होती जाएगी।
पांच करोड़ डॉलर की मदद से बहुवर्षीय शोध परियोजना पर काम हो रहा है, दुनिया के इस सबसे चौड़े हिमखंड को समझने के लिए। इस हिमखंड का आकार अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत जितना है। इसे डूम्सडे ग्लेशियर नाम इसलिए दिया गया था क्योंकि इस हिमखंड में इतनी बर्फ है कि अगर वो पूरी पिघल जाए तो समुद्र का जलस्तर दो फुट से ज्यादा बढ़ जाएगा और प्रलय जैसे हालात हो जाएंगे।
गहराई में बनने वाले गर्म पानी के बुलबुले हो सकते हैं वजह:-
आईसफिन को बनाने वाली कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की पोलर वैज्ञानिक ब्रिटनी श्मिट ने कहा, वैज्ञानिकों ने डूम्सडे ग्लेशियर या थॉटीज ग्लेशियर के नीचे वह जगह देखी, जहां यह तेजी से पिघल रहा है और टूट-टूट कर अलग हो रहा है। शोधकर्ता विमान से वहां नहीं जा सकते थे, क्योंकि विमान को उस जगह उतारना खतरनाक था। बर्फ में एक छेद भी नहीं किया जा सकता था, क्योंकि उससे बर्फ के और ज्यादा टूटने का खतरा था।
तेज हो रही प्रक्रिया:-
नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में श्मिट ने कहा, हिमखंड पतला होकर नहीं, बल्कि टूट कर बिखर रहा है। उन्होंने कहा, ग्लेशियर में हो रहे हिमखंड से बर्फ की पूरी तह के टूटकर पिघलने की प्रक्रिया तेज हो सकती है। नतीजतन यह टूटकर बिखरते हुए खत्म हो सकता है।
जितना ज्यादा टूटेंगे ग्लेशियर, उतनी पिघलेगी बर्फ:-
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ग्लेशियर जितना ज्यादा टूटेगा और पीछे हटेगा, उतनी ही ज्यादा बर्फ पानी पर तैरेगी। यह समस्या इसलिए है, क्योंकि बर्फ जितने ज्यादा पानी पर तैरने आएगी, विस्थापन के कारण जलस्तर उतना ज्यादा बढ़ता जाएगा। बुरी खबर ये है कि यह टूटना डूम्सडे के पूर्वी हिस्से में हो रहा है, सबसे बड़ा और स्थिर हिस्सा माना जाता है।