पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन का सबसे बड़ा बल क्या है? धर्म शास्त्रों में वर्णन है कि- “प्राणायाम परं बलम्” जो व्यक्ति प्राणायाम साध सकता है उसके अंदर, अपार शक्ति होती है। दुनियां का सबसे बड़ा लाभ क्या है? धर्म शास्त्र कहते हैं कि-“लाभो मद्भक्तिरुत्तमः” ईश्वर की प्रेमाभक्ति प्राप्त हो जाये, इससे बड़ा कोई लाभ नहीं है। सबसे बड़ी हानि क्या है? मानव जीवन पाकर भजन न किया जाये, इससे बड़ी कोई हानि नहीं है। सबसे बड़ी विद्या कौन-सी है? डॉक्टर की विद्या, इंजीनियर की विद्या, साइंस, ज्ञान-विज्ञान, भगवान बोले सब बेकार है।
ये तो जीवन निर्वाह के लिये धन उपार्जन करने की कला है। दुनियां में सबसे बड़ी विद्या है, अध्यात्म विद्या। जिस विद्या से ब्रह्म-जीव-माया के स्वरूप का बोध हो जाये, सिर्फ उसी का नाम विद्या है, बाकी सब जीवन निर्वाह के लिये धन उपार्जन की कला है। जो बिना पढ़ा-लिखा है, वह मूर्ख नहीं है। मूर्ख कौन है? जो शरीर को आत्मा मानता है,
दुनियां में वह सबसे बड़ा मूर्ख है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)