औषधीय गुणों से भरपूर है इस पौधे की पत्तियां, हाई ब्लड प्रेशर को करती है कंट्रोल

हेल्‍थ। आयुर्वेद में अनेक प्रकार के पौधों के बारे में बताया गया है, जो औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इन्हीं में से एक है पत्थरचट्टा जिसे ब्रायोफिलम भी कहा जाता है। ये एक ऐसा पौधा होता है, जिसका हर भाग सेहत के लिए बेहद कारगर होता है। यह एयर प्लांट, लाइफ प्लांट, कैथेड्रल बेल्स और मैजिक लीफ के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेदाचार्यो के अनुसार, इस पौधे की पत्तियां किडनी और मूत्र विकारों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में बहुत लाभकारी होती हैं। इसके साथ ही ये पेट में जमा विषैले तत्वों को खींचकर बाहर निकाल देती हैं। ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल पथरी की परेशानी दूर करने के लिए करते हैं। तो आइए जानते हैं इसके होने वाले अन्य लाभ के बारे में।

आयुर्वेद में पत्थरचट्टा को किडनी की समस्याओं को दूर करने में किया जाता है। यह गुर्दे की पथरी को झट से निकालने का काम करती है। इसके साथ ही यदि पत्थरचट्टा का काढा बनाकर पीया जाए तो पेशाब जलन, रुक-रुक पेशाब आना आदि समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

पत्थरचट्टा की पत्तियां इंफ्लामेशन को दुरुस्त करने में रामबाण मानी जाती हैं। आयुर्वेद में इसका कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन सबसे आसान तरीका यह है कि आप इसकी 4-5 पत्तियां पीसकर लेप बना लें। इसके बाद इस लेप को नियमित चोट पर लगाएं। ऐसा करने से आपको दर्द से तो आराम मिलेगा ही, साथ ही खुजली की दिक्कत से भी छुटकारा मिलेगा।

खूनी दस्त रोकने के लिए भी पत्थरचट्टा की पत्तियां बेहद कारगर होता है। यदि आप पेट से जुड़ी दिक्कत या खूनी दस्त से परेशान हैं तो इसकी पत्तियों का रस आपको राहत दिलाएगा। इसके लिए आपको इसकी पत्तियों का रस निकालना होगा। इसके बाद उसमें चुटकी भर पिसा जीरा और आधा चम्मच देशी घी डालकर मिला देना है। इसका दिन में कम से कम दो बार सेवन करना चाहिए।

पत्थरचट्टा वेजाइनल इंफेक्शन को भी ठीक करने में बहुत लाभकारी माना जाता है। यदि किसी भी महिला को वेजाइनल इंफेक्शन, प्राइवेट एरिया में खुजली, जलन और वेजाइनल डिस्चार्च की समस्या है तो यह बेहतरीन औषधीय है। इसके लिए आप इसकी पत्तियों को पानी के साथ उबालकर काढा बना लेंगे। इसके बाद इसका शहद में मिलाकर नियमित सेवन करेंगे। ऐसा करने से आराम मिलेगा।

आयुर्वेद में पत्थरचट्टा का इस्तेमाल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में भी किया जाता है। हालांकि एलोपैथ में भी इसको नियंत्रित करने के कई उपाय हैं। यदि आप आयुर्वेद की मदद लेते हैं तो पत्थरचट्टा की पत्तियों का अर्क पीना होगा। इसके लिए आप पत्थरचट्टा की पत्तियों का रस निकाल कर रख लें। इसके बाद नियमित 5-5 बूंदें पानी में मिलाकर खाली पेट सेवन करें। इससे आपको तुरंत राहत मिलगी।

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