जम्मू कश्मीर। वासंतिक नवरात्र और गर्मी के इन खास दिनों में जम्मू कश्मीर राज्य के पहाड़ों पर बसी मां वैष्णों देवी के दशर्न का कार्यक्रम बनाया जा सकता है। यहीं कारण है कि माता के भवन में इन दौरान भक्तों की ज्यादा भीड़ दिखाई देती है। नवरात्र के दौरान जम्मू शहर का कटरा कुछ अलग ही नज़र आता है और यहां के रामबाण से पूरे देश भर से आए लोग माता दरबार के लिए चढ़ाई शुरु करते है। अगर आप भी नवरात्र के दौरान वैष्णो देवी जाने का विचार कर रहे हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि कब और कैसे वैष्णो देवी पहुंचा जा सकता है और इस दौरान आपको किन बातों का ध्यान रखना होगा।
कब जाएं वैष्णो देवी ?
वैसे तो वैष्णो देवी की यात्रा पूरे साल खुली रहती है लेकिन गर्मियों में चैत्र नवरात्रि से जून तक यहां सबसे ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं। साल के दोनों नवरात्रों में 9 दिनों तक यहां की रौनक देखते ही बनती है। आपके लिए वैष्णो देवी के दर्शन को जाने का यह सबसे बेहतरीन समय हो सकता है।
कैसे पहुंचे वैष्णो देवी
वैष्णो देवी पहुंचना बेहद ही सुगम है यही कारण है कि साल भर यहां भक्तों का तांता लगा ही रहता है। गाजीपुर से जम्मू और कटरा के लिए जहां सीधी रेल सेवा है। निकटतम वाराणसी हवाई अड्डा से भी जम्मू तक के लिए जहाज की सेवा भी शुरु हो गई है। वाराणसी कैंट तथा बनारस स्टेशन के साथ ही मुगलसराय, बक्सर, बलिया आदि से भी जम्मू और कटरा के लिए सीधी रेल सेवाए है। यहीं नहीं दिल्ली हो कर भी जम्मू और कटरा पहुंचा जा सकता है। दिल्ली के अलावा कई दूसरे शहरों से भी यहां तक सीधी ट्रेनें आती हैं। आप चाहें तो कटरा तक सीधे ट्रेन से आ सकते हैं। या फिर जम्मू रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद यहां से बस या टेक्सी के ज़रिए कटरा तक पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से भी कटरा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कटरा से शुरू होती है पैदल यात्रा
कटरा वैष्णो देवी का बेस कैंप है जो जम्मू से 50 किलोमीटर दूर है। यहां बहुत से होटल मौजूद है जहां आसानी से कमरा किराए पर लिया जा सकता है लेकिन इस समय नवरात्र का पीक सीज़न चल रहा है जिससे कमरा मिलने में थोड़ी दिक्कत आ सकती है लिहाज़ा प्री बुकिंग कराई जा सकती है। यात्रा शुरू करने से पहले श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। बिना रजिस्ट्रेशन के गुफा में दर्शन के लिए नहीं जाया जा सकता है। यह रजिस्ट्रेशन कटरा में तथा आनलाइन भी होता है।
14 किलोमीटर की होती है पैदल चढ़ाई
माता दरबार के लिए कटरा से आगे रामबाण से करीब 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह यात्रा घोड़ा, खच्चर, पालकी या पिट्ठू के सहारे भी पूरी की जा सकती है लेकिन अधिकतर लोग पैदल ही यात्रा करते है। सुंदर प्राकृतिक मनोरम दृश्य देखते हुए तथा माता के जयकारेलगाते हुए यह यात्रा कब पूरी हो जाती है इसका पता ही नही चलता। रास्ते में कई रेस्टोरेंट और जलपान के साथ ही जन सुविधाएं भी मौजूद है। अधिकतर लोग रात के समय ही चढ़ाई शुरु करते है। जिससे भोर में गुफा तक पहुंच कर दर्शन किया जा सकता है। यहां हेलीकॉप्टर की भी सेवा उपलब्ध है लेकिन यहां के हैलीपैड सांझी छत से 2.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
ध्यान रखने योग्य बातें
बेस कैंप कटरा समुद्र तल से 2 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर है लेकिन 14 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद स्थित मां वैष्णो देवी का मंदिर समुद्र तल से 5 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है। लिहाजा इन दोनों जगहों के तापमान में भी काफी अंतर देखने को मिलता है। चढ़ाई के दौरान आरामदायक जूते पहनें। यात्रा के समय उनी कपड़े, जैकेट्स, टोपी, ग्लव्स, साल, टार्च आदि रखना न भूलें। क्योंकि भले ही कटरा में आपको ठंड ना मिले लेकिन भवन में आपको कड़ाके की ठंड मिल सकती है।