लाइफ स्टाइल। आजकल वाहनों और तकनीकों के बढ़ने से प्रदूषण काफी हद तक बढ़ता जा रहा है। एयर पॉल्यूशन पूरी दुनिया खासकर बड़े-बड़े शहरों में इस कदर बढ़ गया है कि लोगों को सांस तक लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषण के कारण बच्चे और बड़े सभी की हेल्थ बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार प्रदूषण को लेकर आने वाले समय में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो प्रदूषण के प्रभाव और भी ज्यादा खतरनाक हो सकते है। वायुमंडल में मौजूद ओजोन परत लगातार डैमेज हो रही है। ओजोन लेयर ही हमारी पृथ्वी को सूरज की हानिकारण किरणों से बचाती है। इसके डैमेज होने से लोगों की जिंदगी पर खतरा लगातार बढ़ रहा है। ‘वर्ल्ड ओजोन डे’ के खास मौके पर आपको बताएंगे कि ओजोन प्रदूषण क्या है और यह कैसे हेल्थ को प्रभावित करता है।
क्या है ओजोन लेयर?
ओजोन वायुमंडल में मौजूद एक गैस है, जिसका रंग हल्का नीला होता है। ओजोन लेयर धरती से लगभग 50 किलोमीटर स्ट्रेटोस्फीयर में पाई जाती है। ओजोन लेयर को ओजोन शील्ड भी कहा जाता है, क्योंकि ये सूरज से निकलने वाली हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन को अपने भीतर अब्सॉर्ब करके यूवी किरणों को धरती पर पहुंचने से बचाती है। ये किरणें कैंसर जैसी कई खतरनाक बीमारियों की वजह बन सकती हैं।
क्या है ओजोन प्रदूषण?
ओजोन लेयर को डैमेज करने वाले पॉल्यूशन को ओजोन पॉल्यूशन कहा जाता है। ओजोन प्रदूषण आज एक बड़ा संकट बना हुआ है, जिससे अधिकतर सांस से संबंधित परेशानियों का खतरा बढ़ रहा है। डिफॉरेस्टेशन, वॉटर पॉल्यूशन के साथ रेफ्रिजरेटर और एसी जैसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ज्यादा इस्तेमाल इसका मुख्य कारण है।
ओजोन पॉल्यूशन और हेल्थ का कनेक्शन:-
सूरज से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणें कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकती हैं। ओजोन लेयर इन किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है और बीमारियों से बचाव करती है। लेकिन ओजोन लेयर प्रदूषण के कारण टूट रही है। ओजोन पॉल्यूशन की वजह से सांस लेने में दिक्कत, अस्थमा, खांसी और दर्द, फेफड़ों का कमजोर होना, जलन महसूस होना, शरीर में कमजोरी, फिजिकल एक्टिविटी करने में दिक्कत, सांस लेने में परेशानी और घरघराहट की आवाज महसूस होना और चेस्ट पेन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
ओजोन प्रदूषण का सबसे ज्यादा जोखिम किसे है?
ओजोन प्रदूषण हर किसी को प्रभावित करता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर अस्थमा और फेफड़ों की बीमारी के मरीजों को है। इसके अलावा बुजुर्गों, छोटे बच्चों और ज्यादा वक्त घर से बाहर बिताने वाले लोगों को इसका सबसे ज्यादा खतरा है।