पहाड़ी इलाकों में ही क्‍यों फटते हैं बादल?

जम्मू कश्मीर। बाबा अमरनाथ की गुफा के पास बादल फटने की वजह से 15 लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य लापता हैं।यह हादसा कल शाम हुआ। बादल फटने के कारण फ्लैश फ्लड आ गया जिसमें कई लोग बह गए। बहने वालों की संख्या कितनी है अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मौके पर NDRF, CRPF, BSF स्थानीय प्रशासन बचाव कार्य में लगे हैं

घायलों को इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया जा रहा है और अधिकारियों के अनुसार स्थिति अब नियंत्रण में है। आईजीपी कश्मीर ने ट्वीट करके कहा, “पवित्र गुफा में कुछ लंगर और तंबू बादल फटने से अचानक बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। पुलिस, एनडीआरएफ और एसएफ द्वारा बचाव अभियान जारी है, घायलों को इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया जा रहा है। स्थिति नियंत्रण में है.”

क्यों पहाड़ों पर फटते हैं बादल:-

पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटना सामान्‍य रुप से आम बात है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पहाड़ की तलहटी में मौजूद गर्म हवा पहाड़ों से टकराकर जब ऊपर उठती है तो वहां मौजूद बादलों से टकराती है। इस तरह ज्यादा नमी वाले कई सारे बादल एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं और बरस पड़ते हैं। सामान्यत: बादल फटने की घटना धरती की सतह से 12 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है।

कैसे फटते हैं बादल:-

बादल फटने के कारण अचानक से बहुत भारी वर्षा होती है। अधिकांश बादल फटने का संबंध गरज के साथ होता है। इन तूफानों में हवा के हिंसक उभार होते हैं, जो कभी-कभी संघनित वर्षा की बूंदों को जमीन पर गिरने से रोकते हैं। इस प्रकार उच्च स्तर पर पानी की एक बड़ी मात्रा जमा हो सकती है और अगर ऊपर की धाराएं कमजोर हो जाती हैं तो यह पूरा पानी एक ही बार में गिर जाता है। आसान भाषा में कहें तो जब बादल भारी मात्रा में पानी लेकर चलते हैं और उनके रास्ते में कोई बाधा आ जाती है तो वे अचानक फट जाते हैं। इस स्थिति में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर एक सीमित क्षेत्र में गिरता है। बादल फटने के दौरान लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से बारिश होती है।

बादल फटने की घटना इससे पहले भी कई बार हो चुकी है लेकिन पहली बार 1970 में वैज्ञानिक आधार पर इसे रिकॉर्ड किया गया था। मंडी जिले के बरोट में एक मिनट में 38.10 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।

 

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