मोदी सरकार के साथ एक नए युग की हुई है शुरूआत: गृहमंत्री

अहमदाबाद। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि हिंदू समुदाय की आस्था के केंद्रों को कई सालों तक अपमानित किया गया और 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने तक किसी ने भी उनके गौरव को वापस लाने की परवाह नहीं की थी। लेकिन मोदी सरकार ऐसी जगरों के नवीनीकरण के लिए अब काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले लोग मंदिरों में जाने से कतराते थे, लेकिन मोदी सरकार के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई है। गृह मंत्री अमित शाह अहमदाबाद में कदवा पाटीदार संप्रदाय की देवी मां उमिया को समर्पित उमियाधाम मंदिर के शिलान्यास समारोह में बोल रहे थे। यहां 74 हजार वर्ग गज जमीन पर 1500 करोड़ रुपये की लागत से मंदिर व अन्य भवन बन रहे हैं। उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कई वर्षों तक हिंदू समुदाय के आस्था के केंद्रों को अपमानित किया गया और मोदी के पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में आने तक किसी ने भी गौरव वापस लाने की पहल नहीं की। गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना और मिर्जापुर में 150 करोड़ रुपये की विंध्याचल कॉरिडोर परियोजना (वीसीपी) का भी जिक्र किया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज जब एक भव्य मंदिर का शिलान्यास आर्य समाज (गुजरात के राज्यपाल) आचार्य देवव्रत द्वारा किया जा रहा है, मैं यह कहना चाहूंगा कि मोदीजी ने हमारे भूले-बिसरे केंद्रों के जीर्णोद्धार के लिए निडरता और विश्वास व सम्मान के साथ काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया और केदारनाथ मंदिर में करोड़ों हिंदुओं के विश्वास के केंद्र को पुनर्जीवित किया, जब यह क्षेत्र 2013 में अचानक आई बाढ़ से तबाह हो गया था। उन्होंने कहा कि हम 13 दिसंबर को नरेंद्रभाई के हाथों काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार देखेंगे जो औरंगजेब के काल में नष्ट हो गया था। गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार तीन महीने पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश के मिजापुर में हिंदू देवी मां विंध्यवाशिनी के भव्य मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी थी, क्योंकि मुस्लिम हमलावरों के डर से देवता की मूर्ति एक घर में छिपाकर रखी गई थी। हमने देखा है कि पहले लोगों को मंदिर जाने में शर्म आती थी। लेकिन देश में एक नए युग की शुरुआत हुई जब नरेंद्रभाई ने राष्ट्रपति के निमंत्रण के बाद काशी विश्वनाथ की राख को रगड़ कर ‘गंगा आरती’ की।

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