पीएम मोदी जम्मू-कश्मीर को देंगे बड़ी सौगात, रेल मंडल और टनल, आज पूरा होगा एक और सपना

PM Modi : इस बार जम्मू-कश्मीर के इतिहास में 2025 बड़ी सिद्धियों और सौगातों वाला साल साबित हो रहा है। पीएम मोदी कटड़ा से जब वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर कश्मीर के लिए रवाना करेंगे, तब दशकों से नियति के भरोसे रहकर आतंक का दंश झेल रहे जम्मू-कश्मीर के लोगों का एक और ख्वाब पूरा होगा। 

इस सत्र में जम्‍मू में पहुंची थी पहली ट्रेन

बता दें कि सत्र 1972 में जम्मू में पहली ट्रेन पहुंची थी और इसी ट्रेन का नाम श्रीनगर एक्सप्रेस था। जानकारी के मुताबिक, 1972 से 2025 तक सफर तय करते-करते 52 वर्षों में ट्रेनों की संख्या 28 जोड़ी तक पहुंच गई, लेकिन इतनी सुविधा नही थी कि जम्मू से कोई सीधी ट्रेन श्रीनगर पहुंची हो। 

इस दौरान जम्मू में रेल डिविजन का सपना भी वर्षों पुराना था। इस सपने की शुरुआत भी में साल में छह जनवरी को हुआ। इस दौरान पीएम मोदी ने जम्मू रेल मंडल का वर्चुअल उद्घाटन किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जम्मू-कश्मीर रेल आधारभूत संरचना में नए रिकॉर्ड बना रहा है और इससे इस क्षेत्र की आर्थिक प्रगति और समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। 

पीएम मोदी ने जम्‍मू-कश्‍मीर को दी थी दूसरी सौगात

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर को दूसरी सौगात 13 जनवरी को दी थी। 2700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनी 6.4 किमी लंबी सोनमर्ग सुरंग को केंद्र शासित प्रदेश की जनता को समर्पित किया था। इस दौरान टनल के माध्‍यम से श्रीनगर और सोनमर्ग के बीच पूरे साल बाधारहित आवागमन संभव हुआ है।

इन प्रोजेक्‍टों ने पीएम के कार्यकाल में लिया आकार

बता दें कि यह खूबसूरत टनल हमारे प्रवासी श्रमिकों के हौसले और बलिदान की नींव पर तैयार हुई है, जिन्होंने कई सालों से आतंकी हमलों को भी झेला हैं। जम्मू-कश्मीर को इस साल मिली ये तीनों सौगातें इस बात का प्रतीक हैं कि अब प्रदेश रेल नेटवर्क के माध्‍यम से अन्य भागों से जुड़कर अलग-थलग नहीं रहेगा। इसकी सबसे खास बात यह है कि इन तीनों बड़े प्रोजेक्ट ने पीएम मोदी के कार्यकाल में आकार लिया।

हाइब्रिड फाउंडेशन का इस्‍तेमाल

जानकारी के मुताबिक, गगनचुंबी इमारतों में हाइब्रिड फाउंडेशन का इस्तेमाल करते हैं और बुर्ज खलीफा शंघाई और क्लॉक टावर इसी पर बना है।  वहीं हवा के दबाव और ऊंचाई पर बनी इमारत के भार को सहने की क्षमता हाइब्रिड फाउंडेशन में होती है। यह नींव उन स्थानों के लिए बेहतर है जहां मिट्टी कमजोर, ढीली या रेतीली होती है, और भूजल का स्तर अधिक होता है। इससे पूरे ढांचे के भार को नींव बड़े क्षेत्र में स्थानांतरित करने में सक्षम होती है, जिससे स्थिरता मिलती है।

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