Karnataka high court: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ट्विटर इंक की याचिका को खरिज कर दिया। जिससे ट्विटर को बड़ा झटका लगा है। ट्विटर इंक द्वारा दायर याचिका में कंपनी ने सामग्री हटाने और ब्लॉक करने संबंधी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी थी। जिसे हाई कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि कंपनी की याचिका का कोई आधार नहीं है। इसके साथ ही न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की एकल पीठ ने ट्विटर कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और आदेश दिया कि इसे 45 दिनों के भीतर कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा है।
बता दें कि अदालत ने फैसले के मुख्य हिस्से को पढ़ते हुए कहा, ‘उपरोक्त परिस्थितियों में यह याचिका आधार रहित होने के कारण अनुकरणीय जुर्माने के साथ खारिज की जा सकती है और तदनुसार ऐसा किया जाता है। वहीं, याचिकाकर्ता पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है जो 45 दिनों के अंदर कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बेंगलुरु को देय है। यदि इसमें देरी की जाती है, तो इस पर प्रति दिन 5,000 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगेगा।’ न्यायाधीश ने ट्विटर की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘मैं केंद्र की इस दलील से सहमत हूं कि उनके पास ट्वीट को ब्लॉक करने और एकाउंट पर रोक लगाने की शक्ति है।’
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने कहा कि उसने समय पर ब्लॉक करने की केंद्र सरकार की मांगों को पालन नहीं करने का कारण नहीं बताया। फैसले के ऑपरेटिव भागों का जिक्र करते हुए जस्टिस दीक्षित ने कहा कि वह केंद्र सरकार के रूख से आश्वस्त हैं कि उसके पास न केवल ट्वीट्स को ब्लॉक करने की शक्ति है। बल्कि वह खातों को भी ब्लॉक कर सकती है।
बता दें कि पिछले साल ट्विटर ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 69ए के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचा प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा उसे जारी किए गए आदेशों को चुनौती दी थी। केंद्र ने ट्विटर को फरवरी 2021 और फरवरी 2022 के बीच कई सोशल मीडिया अकाउंट और ट्वीट्स को ब्लॉक करने को कहा था। इनमें से ट्विटर ने 39 ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी थी।