गोरखपुर। प्राचीन एवं परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा शनिवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों एक मील का पत्थर स्थापित हो गया। आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्योपैथी व सिद्ध के समन्वित रूप आयुष के अलग-अलग महाविद्यालयों के सत्र, पाठ्यक्रम, परीक्षा और परिणाम के नियमन के तथा इन चिकित्सा पद्धतियों का लाभ आमजन तक और सुलभ कराने के ध्येय से उत्तर प्रदेश के प्रथम आयुष विश्वविद्यालय की आधारशिला राष्ट्रपति ने रखी। आयुष विश्वविद्यालय का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रपति ने गुरु गोरखनाथ को याद किया। उनहोंने बताया कि गुरु गोरखनाथ जी ने कहा था, जो सुख है, वही स्वर्ग है और जो दुख है वही नरक। भारत में आरोग्य पर प्राचीनकाल से ही बल दिया जाता रहा है। कहा जाता है कि शरीर के सारे कर्तव्यों को पूरा करने का साधन होता है। इसलिए शरीर को स्वस्थ्य रखना ही पहला दायित्व है। आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यह कहकर वैदिककाल से प्रतिष्ठित आयुष प्रविधियों की महत्ता को आधुनिक काल में भी स्थापित किया कि कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में आयुष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।