Prayagraj: माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद के बेनामी आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त करने में यूपी पूलिस जुट गई है. इसके लिए कमिश्नरेट पुलिस ने ऑपरेशन ऑक्टोपस शुरू किया है. यह अभियान पूर्व में शुरू किए गए ऑपरेशन जिराफ के साथ संयुक्त रूप से चलाया जाएगा. ऑपरेशन जिराफ के अंतर्गत जहां मैनुअल व तकनीक की मदद से बेनामी संपत्तियों का पता लगाया जाएगा, वहीं ऑपरेशन ऑक्टोपस के द्वारा इन संपत्तियों पर कार्रवाई का चाबुक चलाया जाएगा.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में इसी योजना के तहत कमिश्नरेट पुलिस की टास्क फोर्स बनाई गई है. 20 सदस्यीय टास्क फोर्स दोनों अभियान के तहत कुल 10 अलग-अलग शाखाओं में बांटी गई है. ऑपरेशन जिराफ के द्वारा दो टीमें जबकि ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत आठ शाखाएं बनाई गई हैं. प्रत्येक टीम में दो सदस्य हैं और दोनों ऑपरेशन का नेतृत्व एक-एक डिप्टी एसपी द्वारा किया जा रहा है. 10 शाखाओं ने ऑपरेशन शुरू भी कर दिया है. टास्क फोर्स की ओर से पिछले चार दिनों से अतीक के करीबियों से बेनामी संपत्ति के संबंध में हुई पूछताछ इसी अभियान से संबंधित है.
खंगाले जा रहे करीबियों के सोशल मीडिया अकाउंट
ऑपरेशन जिराफ के तहत बनीं दो शाखाएं माफिया अतीक की बेनामी संपत्ति का पता लगा रही है. पहली शाखा मैनुअल इंटेलिजेंस के जरिए यानी मुखबिरों, खबरियों के नेटवर्क से बेनामी संपत्ति का पता लगाने में जुटी है. जबकि दूसरी शाखा तकनीकी इंटेलिजेंस के जरिए बेनामी संपत्तियों की जानकारी इकट्ठा कर रही है. इसमें माफिया के करीबियों के सोशल मीडिया अकाउंट से जानकारी इकट्ठा की जा रही है. इसके साथ ही डाटा माइनिंग विशेषज्ञों व कुछ सॉफ्टवेयर की भी हेल्प ली जा रही है.
जुटा रहे बैंक स्टेटमेंट, आयकर विवरण
वहीं ऑपरेशन ऑक्टोपस में अलग-अलग आठ शाखाएं हैं. इन्हें बेनामी संपत्ति से संबंधित डॉक्युमेंट्स की पड़ताल, सत्यापन कराकर कार्रवाई कराने का जिम्मेदारी सौंपी गई है. पहली शाखा बेनामी संपत्ति के मालिकों के बैंक अकाउंट खंगाल रही है, जबकि दूसरी शाखा को आयकर विवरण का पता लगाने का काम सौंपा गया है. ऐसे ही तीसरी शाखा को बैनामे से संबंधित विवरण, चौथी शाखा को नगर निगम संबंधी दस्तावेज, पांचवीं शाखा को आवास विकास, छठवीं शाखा को राजस्व संबंधी दस्तावेज इकट्ठा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. सातवीं शाखा को बेनामी संपत्ति के मालिकों के बारे में यह पता लगाना है कि वह किन-किन सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं. इसी तरह आठवीं शाखा पैनडंप तकनीक के जरिए यह पता लगाने में जुटी है कि संबंधित व्यक्ति का पैन कार्ड किन-किन संपत्तियों में प्रयोग हुआ.
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