राजस्थान/ पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जीवन को समृद्ध बनाने के लिये क्या करना चाहिये और मरते समय इंसान को क्या करना चाहिये। यह दो प्रश्न समस्त मानव जाति के होने चाहिये। मनुष्य का जीवन कर्म कैसा होना चाहिये। आखिर जिंदगी को कैसे सजाना है। आजकल इंटीरिअर डेकोरेशन का जमाना है। व्यक्ति को भी अपने भीतर से सजना सजाना चाहिए। प्रश्न सिर्फ इतना ही है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को, अस्तित्व को, अपनी आत्मा को कैसे सजाएं। अपने घर को सजाने के लिए भी हम कितने उपाय करते हैं। मेहमानों के स्वागत के लिए लिख देते हैं “स्वागतम, एक मेहमान हमारे भीतर आने को तैयार खड़े है, किंतु उसके स्वागत के लिये हमने कोई प्रबंध नहीं है। युगो से खड़ा है, मेहमान द्वार पर दस्तक दे रहा है। जानते हैं यह मेहमान कौन है। उसका नाम है परमात्मा। वही परमात्मा जो संपूर्ण विश्व में व्याप्त है। जो हमारे भीतर अंतर्यामी बनकर बैठा है। वह द्वार पर दस्तक दे रहा है। इसका स्वागत करने की कैसी तैयारी की है आपने अपने अपने भीतर सजाया है। प्रश्न है, जिसका स्वागत करने के लिए जिंदगी को कैसे सजाना चाहिए। मृत्यु द्वार पर दस्तक देने लगे तब जाओगे सजाने। अगर ऐसा हुआ भी तो जितनी क्षण प्राप्त हो उसे मधुर बना दीजिए। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।