लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने 524 सहयुक्त महाविद्यालयों के स्नातक के शिक्षकों को शोध का अवसर देने पर मंथन शुरू कर दिया है। इस क्रम में कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के निर्देशानुसार सोमवार को विवि के सभी विभागाध्यक्ष, डीन, डीआरसी चेयरपर्सन की एक बैठक डीन एकेडमिक्स प्रो. राकेश चंद्रा की अध्यक्षता में गठित कमेटी के साथ हुई। बैठक में प्रो. पूनम टंडन ने कहा की विवि के पास ऐसे कई शिक्षकों के आवेदन आए हैं, जो शोध कराना चाहते हैं और करना चाहते हैं। नई शिक्षा नीति के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए और ऐसे सभी अध्यापकों के शोध कॅरिअर के भविष्य को ध्यान में रखते हुए विवि निर्णय लेंगे। कई शिक्षकों ने महाविद्यालयों के कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ ध्यान आकर्षित किया। यह भी आशंका जताई गई कि यदि सभी महाविद्यालयों को पीएचडी कराने का अवसर दिया जाता है तो क्या इतनी बड़ी संख्या छात्रों को विवि एक साथ कोर्स वर्क करा पाएगा। शिक्षकों ने विश्वास जताया कि इसके लिए महाविद्यालय भी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने की पूरी कोशिश करेंगे। बैठक में लविवि की डीएसडब्ल्यू प्रो. पूनम टंडन, डॉ. संगीता साहू, प्रधानाचार्य नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोतर महाविद्यालय डॉ. अनुराधा तिवारी और प्रधानाचार्य, डीएवी डिग्री कॉलेज डॉ. अंजनी मिश्रा भी उपस्थिति थे। इसी क्रम में मंगलवार को विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य के साथ बैठक होगी। वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय व महामंत्री डॉ. अंशु केडिया ने इस मामले में निर्णय लेने के लिए कमेटी के गठन के निर्णय का स्वागत किया है।