लखनऊ। पखवाड़े भर से चल रहे कयासों के बीच भाजपा ‘मिशन-2022’ की सियासी चौसर पर विरोधियों को मात देने की रणनीति तैयार करने में जुट गई है। इसके तहत पिछड़ों को सहेजने की कवायद शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे के बीच भाजपा के सहयोगी अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद से गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात इसी रणनीति का हिस्सा है। भाजपा की निगाह प्रदेश के कई ऐसे नेताओं पर टिकी है, जो किसी जाति विशेष में प्रभावशाली हैं और भाजपा की रीति-नीति के करीब हैं। कोरोना त्रासदी के साए में प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव के नतीजों के मद्देनजर भाजपा को 2022 में फतह के लिए नए सिरे से सियासी बाजी सजाने की जरूरत महसूस हो रही है। इसके लिए उसकी नजर प्रदेश की आबादी में 55 फीसदी पिछड़ी जातियों को भाजपा के साथ जोड़े रखने पर है। अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद के साथ मुलाकातों का दौर इस कोशिश का हिस्सा है। मोदी सरकार में पहले मंत्री रह चुकी अनुप्रिया इस बार मंत्री नहीं बन पाई हैं। इस कारण वे थोड़ा अनमनी हैं। उन्हें पति आशीष पटेल को भी योगी सरकार में मंत्री न बनाने को लेकर मलाल है। इसी तरह संजय को भी सत्ता में भागीदारी न मिलने की बात कचोट रही है। जिसका उन्होंने दो दिन पहले योगी सरकार पर सवाल उठाकर इजहार भी किया था। अनुप्रिया की पहले योगी की मौजूदगी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात और बाद में एकांत में 40 मिनट तक हुई वार्ता को लेकर कहा जा रहा है कि गृहमंत्री ने अनुप्रिया से यूपी में आगामी विस चुनाव में पिछड़ों को साथ बनाए रखने को लेकर गंभीरता से बात की है। वहीं अनुप्रिया ने भी सरकार में पिछड़ों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के साथ ही उनके लिए 27 फीसदी की आरक्षण व्यवस्था में बंटवारे के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी है।