लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में अब ढाई से तीन किलो वजन तक के बच्चों को भी वेंटिलेटर मिल सकेगा। आमतौर पर इतने वजन के बच्चों के लिए वेंटिलेटर नहीं उपलब्ध हो पाता है। संस्थान में 100 बेड की पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में सामान्य क्षमता के साथ चार वेंटिलेटर भी नवजात के लिए होंगे। अभी तक संस्थान में इतने छोटे बच्चों के लिए वेंटिलेटर नहीं थे। संस्थान के शहीद पथ स्थित रेफरल अस्पताल में 15 जून से इसकी शुरुआत हो जाएगी। कोरोना की तीसरी लहर और बच्चों के इससे प्रभावित होने की आशंका अनुमान पर है। हालांकि, सभी संस्थानों ने तैयारियां शुरू कर ली हैं। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 100 बेड की पीआईसीयू बन गई है। संस्थान प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश सिंह ने बताया कि यूनिट में 50 एचडीयू और 50 आइसोलेशन वाले बेड हैं। यहां कुल 20 वेंटिलेटर होंगे। इनमें 16 सामान्य और चार विशेष क्षमता के होंगे। इन बेड पर नवजात, यहां तक कि ढाई किलो वजन तक के बच्चों को भी रखा जा सकेगा। वहीं, पल्स ऑक्सीमीटर समेत सभी उपकरणों की व्यवस्था हो गई है। प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश सिंह के अनुसार छोटे बच्चे को संभालने के लिए अटेंडेट होना जरूरी है। इन्हें सिर्फ नर्स और अन्य स्टाफ के सहारे नहीं रखा जा सकता है। ऐेसे में अस्पताल में बच्चों के साथ उनके अभिभावकों के लिए भी व्यवस्था की गई है।
दो लहरों में नाममात्र बच्चे ही संक्रमित लोहिया संस्थान को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया था। यहां एक हजार से अधिक गंभीर संक्रमितों को इलाज दिया गया। पहली दो लहरों में हर आयुवर्ग के लोगों को भर्ती किया गया, पर बच्चों की संख्या बेहद कम थी। तीसरी लहर को लेकर अनुमान के आधार पर तैयारियां चल रही हैं। इसी वजह से लोहिया में पीआईसीयू की स्थापना की गई है। यहां छह बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों को पहले से ही इलाज दिया जा रहा है।