वाराणसी। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अब गुरुकुल पद्धति की झलक दिखाई देगी। नई शिक्षा नीति के तहत सदियों पुरानी शिक्षा पद्धति को एक बार फिर से परिषदीय विद्यालयों में शुरू करने की कवायद शुरू होने जा रही है। इसके तहत छात्र छात्राओं को मौलिक अधिकार, नागरिकता कौशल, जल एवं पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, जलवायु परिवर्तन और अपशिष्ट प्रबंधन आदि विषयों पर जागरूक करने का प्रावधान है। गुरुकुल शिक्षा पद्धति के तहत विद्यार्थियों को अपने विद्यालय, कक्षाओं की साफ सफाई का कमान भी संभालने की जिम्मेदारी दी जाएगी। ताकि बच्चों का विद्यालय और वहां के संसाधनों से उनका लगाव बढ़े और वह सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सामूहिकता व परोपकार की भावना भी सीख सकें। वाराणसी जिले में 1144 विद्यालय है, जिसमें दो लाख छात्र पढ़ाई करते हैं। नई शिक्षा नीति के तहत शुरू होने वाली गुरुकुल पद्धति वर्तमान शैक्षिक सत्र में छठवीं से आठवीं तक के कक्षाओं में अनिवार्य रूप से शुरू किया जाएगा। इसमें परिषदीय विद्यालयों में हर विद्यार्थी को रोजाना 15 से 20 मिनट खुद साफ-सफाई करनी होगी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को उनके मौलिक अधिकार, स्वच्छता, संस्कार, नैतिक शिक्षा आदि के बारे में परिपक्व बनाया जाएगा।
इसको देखते हुए सदियों पुरानी गुरुकुल पद्धति के अनुसार इस व्यवस्था को लाने की तैयारी शासन स्तर से की जा रही है। विद्यार्थियों के साथ शिक्षक भी इसमें पूरी सहभागिता निभाएंगे। वे विद्यार्थियों को सिर्फ साफ-सफाई का अभ्यास ही नहीं कराएंगे, बल्कि उनका नेतृत्व कर उन्हें प्रेरित और जरूरत पर मार्गदर्शन कर खुद भी सफाई करेंगे।