वाराणसी। उत्तर प्रदेश के बलिया में गंगा की उफनाई लहरों ने तबाही मचानी शुरू कर दी है। रविवार की सुबह नदी की लहरों ने केहरपुर में स्थित वर्षों पुराने काली मंदिर व विशाल पेड़ को अपनी धारा में समेट लिया। कई लोगों के मकान भी गंगा में समा गए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में अफरातफरी का आलम है। ग्रामीण अपना घर-बार छोड़ पलायन के लिए मजबूर हैं। गायघाट गेज पर नदी का जलस्तर रविवार सुबह आठ बजे 59.22 मीटर रिकार्ड किया गया, जो खतरा बिंदु से करीब डेढ़ मीटर ऊपर है। वहीं, नदी में बढ़ाव अब भी जारी है। गंगा ने केहरपुर में अनिल ओझा, संतोष ओझा, अवधेश ओझा, सुशील ओझा व बिरजू ओझा के मकान को नदी में विलीन कर लिया। नदी के वेग से सुघर छपरा और अवशेष केहरपुर गांव में अफरातफरी का माहौल है। लोग अपना सामान लेकर पलायन कर रहे हैं। उधर, दूबेछपरा, गोपालपुर व उदईछपरा गांव में सबसे खौफनाक मंजर दिख रहा है। डूब क्षेत्र के न सिर्फ स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, बल्कि अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा में परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गईं है। बाढ़ का पानी गांव में घुसने की वजह से पीड़ितों को अपने सामानों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। केहरपुर व सुघर छपरा के लोगों का आरोप है कि हम सभी ने अपनी समस्याओं को लेकर जनप्रतिनिधियों से लेकर उच्चाधिकारियों तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन किसी ने भी हमारी पीड़ा नहीं सुनी। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2019 में काली मंदिर के बगल में ही स्वामी हरेराम ब्रह्मचारी महाराज का स्मृति स्थल गंगा की लहरों में समा गया था। बावजूद इसके जिम्मेदार इस भयावह दिन का इंतजार करते रहे।