राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जब गणेश कल्प आता है तो जो कार्य होते हैं। सब भगवान गणेश के माध्यम से होते हैं। सारस्वत कल्प में जब भगवती दुर्गा रचना करती हैं, तब जो कार्य होते हैं। भगवती दुर्गा के द्वारा होते हैं। रूद्रकल्प में भगवान शंकर से सृष्टि होती है, तब संसार के सारे कार्य भगवान शंकर की इच्छा से होते हैं। भगवान विष्णु जब राम, कृष्ण बनकर अवतरित होते हैं तो सारे कार्य उनकी इच्छा से होते हैं। मूल में सब एक हैं, ऊपर से अनेक दिखते हैं, लेकिन अंदर से सब एक हैं। तरबूज, खरबूजा ऊपर धारियां होती हैं। लगता है भीतर भेद होगा, लेकिन अंदर ऐसा नहीं होता, इसी तरह हमारा जो सनातन धर्म है, ऊपर से अनेक देवी देवता नजर आते हैं। अंदर देखोगे तो एक ही तत्व अनेक रूपों में प्रकट हो रहा है। यह बात स्पष्ट हो जाती है, पर जिस कार्य के लिए जिस देवता का उपयोग लिखा है, उसके लिए वही कार्य करना चाहिए। जैसे- मंत्रियों के विभाग होते हैं, कोई दूसरे विभाग का मंत्री है, आपको किसी दूसरे विभाग के मंत्री से बात करनी है, वह नहीं मिले, आपने इनसे कहा कि क्योंकि यह परिचित हैं तो भी यह साफ कह देते हैं यह विभाग उनके पास है, इस विषय में मैं कुछ नहीं कर सकता। मेरे विभाग संबंधी कोई काम हो तो बताओ। बाकी यह विभाग का काम उनका है, विभाग बंटे रहते हैं।
मनुष्य के जीवन में आने वाली विघ्न- बाधाओं के निवारण का विभाग भगवान गणेश के पास है। अगर हम भगवान गणेश का स्मरण करेंगे तो आने वाली विघ्न बाधाएं दूर रहेंगी और गणपति कल्प में तो भगवान गणेश ही प्रधान होते हैं। एक देवता की प्रधानता रहती है, हर कल्प में, पंचदेव एक प्रधान बनकर रहते हैं। चार उनके अनुयायी बनकर रहते हैं। उन्हें कोई संकोच नहीं। जैसे क्रिकेट एक खेल है, हॉकी एक खेल है, जिसमें कप्तान बदलते रहते हैं, जो कप्तान बनता है, बाकी क्रिकेटर लड़के उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। वह जैसा कहेगा वह वैसा करते हैं, जरा सा यहां वहां किया तो निकाला गया, जो कप्तान बन गया उसका सम्मान सबको करना है। इसी तरह सृष्टि के प्रारंभ में पंचदेव में से एक को प्रधानता दे दी जाती है। कभी सूर्य भगवान को प्रधानता दी गई, सूर्य भगवान से सारी सृष्टि हुई, ऐसा सूर्यपुराण में वर्णन है। गणेशकल्प में सम्पूर्ण कार्य भगवान गणेश की ही अध्यक्षता में होता है। इसलिए भगवान गणेश का एक नाम गणाध्यक्ष है। गणपतिकल्प में भगवान गणपति सब के अध्यक्ष होते हैं। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में, चातुर्मास के पावन अवसर पर, श्री गणेश महापुराण कथा में भगवान गणेश के विवाह की कथा का वर्णन किया गया एवं उत्सव महोत्सव मनाया गया। कल की कथा में क्रीडा खंड की कथा, जिसमें प्रधान रूप से महोत्कट विनायक की कथा होगी।