जानिए क्यों वाराणसी में कम्पोजिट ईको टास्क फोर्स का हुआ गठन…

वाराणसी। कानपुर और प्रयागराज के बाद अब बनारस में गंगा निर्मलीकरण के मोर्चे को सेना संभालने जा रही है। इसके लिए कम्पोजिट ईको टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसके तहत 137 सीटीएफ टीए बटालियन (39 जीआर) की एक कंपनी को मोर्चे तैनात किया जाएगा। सेना की यह कंपनी मेजर एलएन जोशी के नेतृत्व में प्रयागराज के बाद अब बनारस में डेरा डाल दी है। इस मसले पर एलएन जोशी ने गुरुवार को नगर आयुक्त प्रणय सिंह से मुलाकात की गई। अवगत कराया कि टास्क फोर्स में कुछ सेना के वह रिटायर्ड लोग भी हैं जो पानी से जलकुंभी आदि निकालने के एक्सपर्ट हैं। सेना की यह टुकड़ी नमामि गंगे के लिए काम करेगी ताकि गंगा की साफ-सफाई में उत्तरोत्तर सुधार हो। सेना की यह कम्पोजिट ईको टास्क फोर्स सबसे पहले गंगा में गिरने वाले नाले-नालियों व सीवेज सिस्टम का सर्वे करेगा। रिपोर्ट बनाकर नगर निगम को सौंपा जाएगा, ताकि गंगा में गिर रही गंदगी को रोका जा सके। गंगा के किनारे पौधारोपड़ कराने में मदद के साथ ही एसटीपी के संचालन की निगरानी की जाएगी। मुकम्मल रिपोर्ट बनाकर एनएमसीजी मंत्रालय को सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट में गंगा निर्मलीकरण को लेकर नगर निगम, जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई व क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड कितना गंभीर है, इसको भी बिंदुवार उल्लेख किया जाएगा। इसका मकसद गंगा को स्वच्छ बनाना है। बता दें कि धर्म, आस्था के साथ ही करोड़ों लोगों के पेयजल का आधार गंगा ही हैं। बनारस नगरीय सीमा में उत्पादित कुल पेयजल का 70 फीसदी श्रोत गंगा आधारित है। टास्क फोर्स गंगा से जलकुंभी निकालने के साथ ही प्लास्टिक आदि के प्रवाह को गंगा में जाने से रोकेगी। इसके लिए विभिन्न विभागों से संपर्क व सहयोग लेते हुए समन्वय स्थापित किया जाएगा। जहां टास्क फोर्स को जरूरी लगेगा वहां नेचुरल ब्रिज के जरिए रूट प्यूरिफिकेशन वर्क करके कचरों को गंगा में जाने से रोकने का काम किया जाएगा। हालांकि बनारस में अब इसकी जरूरत नहीं है, क्योंकि अधिकांश नालों को गंगा में गिरने से बंद कर दिया गया है।

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