अपराधियों पर नकेल कसेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

प्रयागराज। शहर में कोई वारदात हो जाए। भागते हुए अपराधियों की न सिर्फ लोकेशन पुलिस के पास पहुंचती रहे, बल्कि उनकी लाइव तस्वीरें भी स्क्रीन पर दिखती रहें। इसके लिए एक-एक कैमरे की फीड देखने की भी जरूरत न पड़े। अपराधी जिस जगह से गुजरे, उसी जगह की तस्वीर इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम में फ्लैश होती रहे और फिर इसके जरिए ही उसे दबोच लिया जाए।’ पुलिसिंग का यह तरीका अब तक आपने फिल्मों या बड़े शहरों में ही देखा होगा। लेकिन जल्द ही कुछ इसी तरह की स्मार्ट पुलिसिंग शहर में भी होगी। यह संभव होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की मदद से, जिसका इस्तेमाल जल्द ही शहर के इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम को और फुलप्रूफ करने के लिए किया जाएगा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पूरे शहर को इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम से लैस किया गया। चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी, एनपीआर, डोम कैमरों के साथ ही पीएएस(पब्लिक एड्रेस सिस्टम) लगवाए गए। इससे पहले करोड़ों की लागत से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर(आईट्रिपलसी) की भी स्थापना की गई। इसमें कैमरों से मिलने वाली लाइव फीड के जरिए जहां पूरे शहर की निगरानी संभव हो सकी। वहीं सैकड़ों पीएएस सिस्टम को एकीकृत कमांड के माध्यम से नियंत्रित करते हुए पूरे शहर के लोगों तक अपनी बात पहुंचाने की भी सुविधा मिली। इसी कड़ी में अब अपराधियों पर नकेल कसने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का सहारा लेेने का निर्णय लिया गया है। जिसके तहत अब पुलिस शहर के इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के लिए सिनोप्सिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने जा रही है। मुंबई-बंग्लुरु जैसे देश के बड़े शहरों में इसका इस्तेमाल पहले से किया जा रहा है। उन्हीं की तर्ज पर अब शहर की पुलिसिंग को भी स्मार्ट बनाने के लिए इसका सहारा लिया जाएगा। सिनोप्सिस सॉफ्टवेयर इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम को सुदृढ़ करने का ही एक टूल है। अफसरों ने बताया कि वर्तमान में शहर में 1100 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे इंस्टाल हैं। आईट्रिपलसी में इन कैमरों की लाइव फीड पहुंचती है, जिसके जरिए शहर की निगरानी की जाती है। कोई वारदात होने पर अपराधियों के हर मूवमेंट पर पल-पल नजर रखनी होती है। ऐसे में एक-एक कैमरे की फीड को मैनुअली देखना बहुत कठिन हो जाता है। सिनोप्सिस सॉफ्टवेयर की जरूरत यहीं पर पड़ती है। इसके जरिए एक खास नंबर या आईडेंटिफिकेशन डाटा से संबंधित व्यक्ति या ऑब्जेक्ट की पल-पल की लोकेशन ऑटोमैटिक तरीकेसे प्राप्त की जा सकती है और इसके लिए प्रत्येक कैमरे की लाइव फीड जांचने की भी जरूरत नहीं।

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