नई दिल्ली। कोरोना काल में चुनौतियों के बावजूद भारतीय रेलवे ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। रेलवे ने अगस्त 2021 महीने के दौरान रिकार्ड लदान और माल ढुलाई की हैं। इतना ही नहीं इस दौरान मालगाड़ियों की गति भी लगभग दोगुनी की गई है। रेलवे ने इसे आगे भी बरकरार रखने के लिए कार्ययोजना तैयार की है। भारतीय रेलवे ने कोविड महामारी की चुनौतियों के बावजूद माल ढुलाई में सामान लादने और उससे कमाई के मामले में लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा हैं। रेलवे ने अगस्त 2021 महीने के दौरान लदान और आय के मामले में माल ढुलाई के आंकड़ों में उच्च गति बनाए रखी है। अगस्त 2021 के दौरान भारतीय रेलवे की माल ढुलाई 110.55 मिलियन टन रही, जो अगस्त 2020 (94.59 मिलियन टन) की तुलना में 16.87 फीसदी अधिक है। इसी समान अवधि में भारतीय रेलवे ने अगस्त 2021 के दौरान माल ढुलाई से 10,866.20 करोड़ रुपये कमाए जो अगस्त 2020 की तुलना में 20.16 फीसदी अधिक है। अगस्त 2020 में भारतीय रेलवे ने 9,043.44 करोड़ रुपये कमाए थे। अगस्त 2021 महीने में ढुलाई के दौरान भेजी गई महत्वपूर्ण वस्तुओं में 47.94 मिलियन टन कोयला, 13.53 मिलियन टन लौह अयस्क, 5.77 मिलियन टन कच्चा लोहा और तैयार स्टील, 6.88 मिलियन टन खाद्यान्न, 4.16 मिलियन टन उर्वरक, 3.60 मिलियन टन खनिज तेल, 6.3 मिलियन टन सीमेंट (क्लिंकर को छोड़कर) और 4.51 मिलियन टन क्लिंकर शामिल रहे हैं। रेलवे माल ढुलाई को बहुत आकर्षक बनाने के लिए कई तरह की रियायतें/छूट भी दे रहा है। मौजूदा नेटवर्क में मालगाड़ियों की गति बढ़ा दी गई है। मालगाड़ियों की गति में सुधार से सभी हितधारकों के लिए लागत की बचत हो रही है।पिछले 19 महीनों के दौरान मालगाड़ियों की गति दोगुनी हो गई है। ऑक्सिजन सहायता तेज गति से पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए रेलवे द्वारा ऑक्सिजन एक्सप्रेस और माल गाड़ी चलाने में नए और बेमिसाल मानक स्थापित किए हैं। लंबी दूरी के अधिकतर मामलों में माल गाड़ी की औसत गति 55 किलोमीटर से अधिक रही है। ग्रीन कॉरिडोर में आपात स्थिति को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मंडलों के परिचालन दल अत्यधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम कर रहे हैं ताकि तेज संभव समय में माल पहुंचाया जा सके। विभिन्न सेक्शनों में कर्मियों के बदलाव के लिए तकनीकी ठहराव (स्टॉपेज) को घटाकर एक मिनट कर दिया गया है। रेल मार्गों को खुला रखा गया है और उच्च सतर्कता बरती जा रही है, मालगाड़ियां समय पर पहुंच सकें। यह सभी काम इस तरह किया जा रहा है कि अन्य रेलगाड़ियों की गति में कोई कमी न हो।