गोद लिए बच्चों का विदेश जाना और वहां बसना होगा आसान: बाल विकास मंत्रालय

नई दिल्ली। गोद लिए बच्चों का अब विदेश जाना और वहां बसना आसान होगा। इसके लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय ने हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम 1956 (हामा) के नियमों में बदलाव की कवायद शुरू कर दी है। साथ ही केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) से मान्यता लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने जा रहा है। अभी तक हामा के तहत बच्चा गोद लेने वालों को यह सुविधा नहीं थी वह बच्चे का पासपोर्ट और वीजा बनवाने के लिए कारा से अनापत्ति प्रमाणपत्र हासिल नहीं कर पाते थे। भारत में हामा के तहत हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख बच्चा गोद ले सकते हैं। यह व्यक्तिगत कानून है, जो दो देशों के बीच गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया से संबंधित नहीं है। कानून और न्याय मंत्रालय की सिफारिश पर मंत्रालय गोद लेने के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने में दत्तक माता पिता की मदद करने के लिए हामा के तहत अंतर्देशीय दत्तक ग्रहण में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दत्तक विनियम 2017 में संशोधन करने की प्रक्त्रिस्या शुरू कर रहा है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हामा अंतर्देशीय दत्तक ग्रहण के लिए किसी भी प्रकार की सुविधाएं प्रदान नहीं करता। इसके लिए हेग सम्मेलन में बहुराष्ट्रीय संधि के तहत समझौता हुआ, जिसमें दत्तक ग्रहण को माता-पिता अधिकारों पर केंद्रित रहने की तुलना में इसे अधिक बाल केंद्रित माना गया। इसके नए नियम के तहत कारा जिलाधिकारी की सिफारिश पर एनओसी देगा। इसके बाद पासपोर्ट और वीजा मिलने में दिक्कत नहीं होगी। उन्हें 2 साल की अनिवार्य अवधि के दौरान भारतीय उच्चायोग द्वारा निगरानी की सुविधा मिलेगी।

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