दिल्ली मेट्रो ने कबाड़ के इस्तेमाल से 12 करोड़ की बचत

नई दिल्ली। यमुना बैंक मेट्रो डिपो पर कबाड़ (स्क्रैप) से इलेक्ट्रॉनिक लैब में तमाम सुविधाएं विकसित की गई हैं। खराब हो चुके मेट्रो के दरवाजे, सीसीटीवी, एंगल सहित अन्य उपकरणों से प्रयोगशाला के लिए जरूरी मशीनरी बनाई गई है। वहीं लैब में इलेक्ट्रॉनिक कार्ड की मरम्मत से दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को करीब 12 करोड़ रुपये की बचत हुई है। कोरोना काल में डीएमआरसी ने यमुना बैंक मेट्रो डिपो में इस लैब से नया प्रयोग किया। स्टेशनों पर बेकार पड़े उपकरणों और सामग्रियों से लैब को तैयार किया गया। यहां इस्तेमाल होने वाले सिमुलेटर, कैबिनेट, स्टूल, टेस्ट बेंच तैयार किए गए हैं। प्रयोगशाला में अलग-अलग कार्यों में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक कार्ड की मरम्मत कर दोबारा इस्तेमाल किया जाता है। कोविड की दूसरी लहर के दौरान योजनाओं में बदलाव करते हुए स्क्रैप के उपयोग के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स लैब विकसित करने के लिए जगह का इस्तेमाल किया गया। मेकैनिकल और इलेक्ट्रिकल स्क्रैप का लैब में इस्तेमाल किया गया। फिलहाल, ट्रेनों से मिलने वाले खराब कार्डों की मरम्मत के लिए 10 कर्मचारी तैनात हैं। खराब पड़े यांत्रिक और इलेक्ट्रिकल स्क्रैप को स्टोर से एकत्रित किया गया। इसके लिए जी स्पेयर पैकेजिंग के कबाड़ से मेट्रो ट्रेन के सिमुलेटर दोबारा काम के लायक बनाए जा रहे हैं। इस लैब में प्रतिदिन 8-10 कार्ड मरम्मत के बाद डिपो में भेज दिए जाते हैं। कर्मचारी खराब हार्डवेयर को दुरुस्त करने के लिए लैब में भेजते हैं। यहां वर्चुअल लाइव परिस्थितियों में ट्रेन सिम्युलेटर पर कार्ड की मरम्मत और टेस्टिंग की जाती है।

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