नई दिल्ली। छह अक्टूबर को शुरू हुई भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज समाप्त हो गई। कोरोना की दूसरी लहर के चलते अप्रैल और मई के दौरान देश के कई हिस्सों में लगाई गई सख्त पाबंदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा था। लेकिन अब पाबंदियों में थोड़ी ढील दी गई है। ऐसे में यह बैठक बेहद अहम है। हर दो महीने में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होती है। इस बैठक में अर्थव्यवस्था में सुधार पर चर्चा की जाती है और साथ ही ब्याज दरों का फैसला लिया जाता है। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को नीतिगत दरों में संशोधन किया था। खास बातें: आरबीआई ने लगातार आठवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यह चार फीसदी पर बरकरार है। यानी ग्राहकों को ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिली है। RBI गर्वनर शक्तिकांता दास ने कहा कि सभी सदस्य दरें बरकरार रखने के पक्ष में है। मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट भी 4.25 फीसदी पर स्थिर है। दास ने आगे कहा कि रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है। इसके साथ ही बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है। यह 4.25 फीसदी पर है। केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक रुख को ‘उदार’ बनाए रखा है। अर्थव्यवस्था में रिकवरी के साफ संकेत दिख रहे हैं। अगस्त, सितंबर में मांग में रिकवरी दिखी। खाद्य महंगाई दर में भी कमी आई है। शुरुआती दौर में निवेश में सुधार देखने को मिल रहा है। जुलाई-अगस्त के लिए महंगाई दर अनुमान से कम रह सकती है। RBI महंगाई को नियंत्रण में करने की कोशिश कर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की वास्तविक जीडीपी में 9.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी। शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में देश की वास्तविक जीडीपी 17.1 फीसदी रह सकती है। मुद्रास्फीति पर दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.3 फीसदी रह सकती है। पिछली बैठक में 5.7 फीसदी का अनुमान लगाया गया था। दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.1 फीसदी रह सकती है, तीसरी तिमाही में 4.5 और चौथी तिमाही में यह 5.8 फीसदी हो सकती है। वहीं केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2 फीसदी रह सकती है। कृषि उत्पादन से ग्रामीण मांग में तेजी आएगी। आगे शक्तिकांत दास ने कहा कि त्योहारों में शहरी मांग बढ़ने की उम्मीद है।