प्रदेश में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देगा वन महकमा

उत्तराखंड। ईको टूरिज्म के तहत बर्ड वॉचिंग, नेचर ट्रेल और स्नो लैपर्ड टूर जैसी गतिविधियों के जरिये वन विभाग प्रदेश में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देगा। इसकी शुरुआत हर्षिल-गंगोत्री क्षेत्र से की गई है। इसके तहत सुरक्षित हिमालय परियोजना के तहत उत्तरकाशी के बरसू गांव में नेचर गाइड ट्रेनिंग कोर्स की शुरूआत कर की गई है। वन प्रमुख पीसीसीएफ राजीव भरतरी ने बताया कि उत्तरकाशी जिले में प्रकृति आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। यहां उष्ण कटिबंधीय वन, समशीतोष्ण वन, अल्पाइन घास के मैदान, उच्च ऊंचाई वाली आर्द्रभूमि सहित कई प्रकार के प्राकृतिक निवास स्थान हैं। बावजूद इसके हरर्षिल-गंगोत्री क्षेत्र में प्रकृति गाइड की कमी है। क्षेत्र में पाए जाने वाले पक्षियों का ज्ञान रखने वाले प्रकृति गाइडों को तैयार करने के लिए वन विभाग के स्तर से प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। नेलोंग-घाटी में हाल ही में खोली गई विरासत गरतांग गली ट्रेल पर्यटन के लिहाज से लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन रही है। सितंबर में खोले जाने के बाद से अब तक दो हजार पर्यटक यहां पहुंच चुके हैं। भरतरी ने बताया कि वन विभाग की ओर से भरोंघाटी के पास लंका में हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का विकास और देवदार ट्रेल शुरू किया गया है। राज्य जैव विविधता बोर्ड की ओर से भागीरथी-गंगोत्री परिदृश्य के लिए विशेष पक्षियों, तितलियों, पतंगों और जंगली फूलों की पहचान करने के लिए दो साल की जैव विविधता मूल्यांकन परियोजना शुरू की गई है, जो प्रकृति-प्रेमी पर्यटकों बेहद पसंद की जा रही है। पीसीसीएफ ने बताया कि हमें विश्वास है कि इन कई पहलों के परिणामस्वरूप, हर्षिल-गंगोत्री क्षेत्र जल्द ही एक प्रमुख शीतकालीन पर्यटन स्थल के रूप में उभरने वाला है।

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