मंदिर से जुड़े इन वास्तु नियमों का रखे ध्यान, नहीं तो बिगड़ सकती है आर्थिक स्थिति

वास्तु। मंदिर या पूजास्थल में हम आत्मिक और मानसिक शांति कि खोज करते हैं ऐसे में आवश्यक है मंदिर और पूजा घर ऐसी जगह हो जहां व्यक्ति अपनी सारी परेशानियां भूल जाए। अक्सर लोग यह कहकर इस बात को सिरे से ख़ारिज करते हैं कि ईश्वर तो हरजगह विद्यमान है फिर उनके स्थान को लेकर इतनी बातें क्यों। लेकिन ऐसा नहीं है, अक्सर इन सभी बातों को हम नज़र अंदाज़ करके अपनी सुविधानुसार पूजा घर बना लेते हैं। परन्तु इन सिद्धांतों के विरुद्ध ऐसे स्थान पर मंदिर आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। क्या कहता है वास्तुशास्त्र मंदिर निर्माण के बारे में:- आपके घर के मुख्य द्वार के सामने अगर कोई मंदिर है तो इससे आपको अशुभ फल प्राप्त होगा। जिस मकान पर मंदिर की परछाईं पड़ती है, वहां आर्थिक स्थिति खराब होती है। मंदिर के शिखर की छाया यदि किसी घर में पड़ती है तो उस घर के लोग कर्ज़दार हो जाते हैं। यदि घर के नज़दीक में बेर, बबूल जैसे वृक्ष मंदिर के समीप हो तो भी घर में क्लेश कि सम्भावना बनी रहती है। मंदिर के आसपास मेहंदी के वृक्ष नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और घर के आसपास नकारात्मक शक्तियों का वास होने की सम्भावना होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजाघर के निर्माण में ध्यान रखें ये बातें:- घर में पूजा के लिए पूजाघर का निर्माण अलग से कराएं। यदि ऐसा संभव न हो, तो भी पूजा का स्थान एक निश्चित जगह पर ही बनाएं। जिस स्थान पर बैठकर पूजा करें वह ज़मीन से थोड़ी ऊंचाई पर हो। ईशान कोण पूजाघर के लिए सबसे उपयुक्त दिशा होती हैं। गलत दिशा में बने पूजाघर को ऐसे करें सही:- यदि पूजाघर गलत दिशा में बना हुआ हैं तो पूजाघर के द्वार पर मांगलिक चिह्न, (स्वस्तिक, ऊँ,) आदि स्थापित करें। गणपति एवं दुर्गा की मूर्तियां दक्षिण मुख में होतो शुभ होता है। इसके साथ ही पूजा घर में श्रीयंत्र या कुबेर यंत्र रखना शुभ माना जाता है। टायलेट के पास पूजाघर न बनाएं:- अगर आपके पूजास्थल के पास टॉयलेट है तो वास्तुदोष उत्पन्न होता हैं। यदि टॉयलेट पूजास्थल के समीप है और उसे हटाना संभव नहीं है, तो टॉयलेट का दरवाज़ा बंद करके रखें और यदि पूजाघर गलत दिशा में बना है, लेकिन वहां साफ़ सफाई है, तो ऐसे स्थान का वास्तुदोष का प्रभाव स्वयं ही घट जाएगा।

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