महाराष्ट्र। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने खतरनाक विषाणुओं के जानबूझकर शस्त्रीकरण पर गंभीर चिंता जताई है। इसके साथ ही उन्होंने इसके खिलाफ व्यापक राष्ट्रीय क्षमताएं विकसित करने और बॉयो डिफेंस, बॉयो सेफ्टी व बायो सिक्युरिटी के प्रबंध करने की आवश्यकता बताई। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चिंता जताते हुए डोभाल ने कहा कि आपदा व महामारियां सीमा विहीन खतरा होती हैं। इनके खतरे से अलग थलग होकर मुकाबला नहीं किया जा सकता। इससे निपटने की ऐसी रणनीति बनानी होगी, जिससे हमारे लाभ बढ़े व नुकसान कम से कम हो। ‘आपदाओं व महामारियों के दौर में राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियां’ विषय पर पुणे डॉयलॉग आन नेशनल सिक्युरिटी 2021 को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी व जलवायु परिवर्तन का सबसे अहम संदेश यह है कि ‘सब की अच्छी सेहत से ही सबका अस्तित्व रहेगा’ इस कार्यक्रम का आयोजन पुणे इंटरनेशनल सेंटर ने किया था। एनएसए डोभाल ने कहा कि खतरनाक रोगाणुओं का जानबूझकर शस्त्रीकरण एक गंभीर चिंता का विषय है। इसने एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र बनाने की जरूरत बता दी है। इसके लिए बॉयो सेफ्टी, बॉयो डिफेंस व बॉयो सिक्युरिटी की आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जैविक शोध सिर्फ वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए ही कानून सम्मत है, लेकिन इसका दोहरा इस्तेमाल कर दुरुपयोग भी किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन को उन्होंने एक और खतरा बताते हुए कहा कि इसके अंजाम को लेकर कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसके कारण पहले से कम हो रहे संसाधनों की उपलब्धता पर असर पड़ेगा। इससे प्रतिस्पर्धा की बजाए संघर्ष पैदा होगा। जलवायु परिवर्तन अस्थिरता बढ़ा सकता है और इसके कारण भारी पैमाने पर आबादी का विस्थापन शुरू हो सकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कहा कि 2030 तक भारत में करीब 60 करोड़ लोग शहरों में रह रहे होंगे। दक्षिण एशिया के तटीय इलाकों से जलवायु परिवर्तन के कारण दूसरे इलाकों में कूच करेंगे, इससे पहले से दबाव महसूस कर रहे शहरी बुनियादी ढांचे पर बोझ और बढ़ सकता है।