भाई और बहन के अटूट स्नेह का पर्व है भैया दूज: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भाई-दूज का पावन-पर्व भाई दूज के लिये पौराणिक कथा है। श्री यमुना जी यमराज की बहन है। यमुना जी सूर्यपुत्री हैं और यमराज सूर्यपुत्र है। बहन का हमेशा ध्यान रहता है कि मेरा भाई कभी हमारे घर आये। भाई और बहन का अटूट स्नेह होता है। यमराज को समय नहीं मिल पाता था। वो नहीं आ पाते थे। श्री यमुना जी ने अनेक बार आवाहन किया, बुलाया। व्यस्तता के कारण यमराज नहीं आ सके। एक बार समय निकाल करके इसी यम द्वितीया के दिन भगवान् यमराज श्री यमुना जी के यहां आये थे। श्री यमुना जी ने स्वागत सत्कार किया, तिलक किया। यमराज ने कहा बहन बहुत दिन बुलाने के बाद मैं आ सका हूं, यह मेरी मजबूरी थी। लेकिन तुमने जो आज मेरे तिलक किया है इसके बदले कुछ मांग लो। श्री यमुना जी ने वरदान मांगा था जो आज की तिथि में भाई, बहन के घर जाकर बहन का भोजन स्वीकार करेगा, बहन को द्रव्य दक्षिणा अर्पित करे उसको यमलोक को न जाना पड़े, वरदान दे दीजिये। यमराज ने कहा मैं वचन देता हूं जो इस नियम का पालन करेगा, उन्हें यमराज के घर नहीं आना पड़ेगा। इस पावन पुण्य के प्रभाव से भगवत धाम की प्राप्ति होगी। इसीलिए अनादिकाल से भाई-दूज, भ्रातृ द्वितीय का ये मंगल नियम चल रहा है। आजकल तो बहने भाई के घर जाती हैं, लेकिन शास्त्रीय परंपरा ये है कि भाई ही बहन के यहां जाता था। भगिनी गृहे भ्रातृ-भोजनं÷अर्थात् भाई-बहन के घर जाय और बहन का भोजन स्वीकार करें और द्रव्य दक्षिणा से उसका सम्मान करें। यह शास्त्रीय परंपरा है, क्योंकि चल पड़ा है। बेचारी भोली-भाली बहने भाई के यहां जाकर उनकी सेवा करती रहती हैं। आशीर्वाद मिलता है। भ्रातृ द्वितीय शास्त्रीय उत्सव है और इसे मनाना चाहिये। भाइयों को चाहिये कि इस अवसर पर वे बहन के घर जाय और बहन के घर भोजन करके, यथेष्ट उसको द्रव्य दक्षिणा से सत्कार करें। मंगल कामना हो और बहन भाई के लम्बी आयु की कामना करती है। दोनों का मंगल होगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)।