सत्य से व्यक्ति बनता है महान: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सत्य से व्यक्ति बनता है महान, इस संसार के प्रत्येक महापुरुषों ने सत्य की महिमा का उपदेश दिया है। यदि इहलोक और परलोक में कुछ प्राप्त करना है तो सत्य के आश्रय के बिना सम्भव नहीं है। संतो ने अपनी वाणी में कहा है। झूठ बोलने वाला कभी आगे बढ़ नहीं सकता है। महात्मा श्री कबीरदास जी कहते हैं। सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। जाके हृदय सांच है, वाके हृदय प्रभु आप। विश्वबन्द्य वैष्णव कुलभूषण श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज कहते हैं। सत्य मूल सब सुकृत सुहाये। वेद पुरान विदित मनु गाये। हम चाहे जितना भी जप-तप, तीर्थ-व्रत, कथा-कीर्तन क्यों न करें, यदि सत्य का आधार नहीं होगा, तो वे सब उस पेड़ के समान हैं, जिनकी जड़ ही न हो। बिना जड़ के पेड़ से फल पाने की आशा व्यर्थ है। उसी प्रकार सत्य को छोड़कर किया हुआ कोई भी सत्कर्म निरर्थक होगा। सत्य के साथ शील अर्थात् अच्छा स्वभाव एक अनिवार्य गुण है। हम लोग जलेबी बनाने के लिए शुद्ध देशी घी में बढ़िया मैदा की जलेबी बनावें और बिना चीनी के पाग में डूबाये ही परोस दें तो उसका कोई स्वाद नहीं होगा। ठीक उसी तरह से हमारा सत्य कितना ही बढ़िया क्यों न हो यदि उसमें शील का साथ नहीं होगा, तो उसका महत्व नहीं रहेगा। सत्य की पूर्णता के लिए विचार, उच्चार और आचार तीनों में शुद्धि होनी चाहिए। कभी-कभी शब्दार्थ से सत्य प्रमाणित कर दिया जाता है परंतु भावार्थ को नजरअंदाज कर देते हैं। वह पूर्ण सत्य नहीं कहा जा सकता है। हमारे आचरण से भी सत्य लक्षित होना चाहिये। आप सही हैं इतना ही पर्याप्त नहीं है आप समाज के सामने सही दिखें यह भी जरूरी है। आज बर्तमान समय में सत्य के प्रति समाज की आस्था में बड़ी कमी नजर आने लगी है। कभी समय था कि लोग झूठ बोलने से डरते थे, अब सत्य बोलने से डर रहे हैं। कभी ऐसा समय था जब कोई किसी व्यक्ति से झूठी गवाही के लिए कहता था तो वह इंकार कर देता था कि झूठ बोलने का पाप मैं नहीं करूंगा। लेकिन आज सही गवाही के लिए भी कोई तैयार नहीं होता। आजकल लोगों को लगने लगा है कि अब सत्य बोलने का समय नहीं रहा है। अगल-बगल की घटनाओं का उदाहरण देकर साबित करने का प्रयत्न भी करते हैं कि, देखो सही आदमी कितना परेशान हो रहा है। इस विषय में इतना ही कहना है कि आपका सत्य पूर्ण होगा तो वह प्रतीक्षा करवा सकता है परंतु वह कभी भी पराजित नहीं होगा। शर्त इतनी है कि आपका सत्य निर्मल होना चाहिए। शत प्रतिशत शुद्ध सत्य कभी पराजित नहीं किया जा सकता। आपके पास दस किलो शुद्ध देसी घी हो, उसमें केवल दस ग्राम ही वनस्पति घी मिला दें तब भी शुद्धता का दावा नहीं किया जा सकता है। ठीक इसी प्रकार लेशमात्र भी असत्य आ जावे, तो पूर्ण शुद्ध सत्य का दावा नहीं कर सकते। अतः विचार में सत्य, उच्चार में सत्य और आचार में भी सत्य के त्रिपाद अनुष्ठान से ही सत्य की उपासना संभव है। वही पूज्य बापू जी के जन्मदिवस पर आयोजित श्री मद्भागवत कथा जनवरी 2022 स्थान नवनिर्मानाधीन गोवर्धन धाम आश्रम में आप सभी भक्त सपरिवार सादर आमंत्रित हैं। इस कथा में मूल पाठ करवाने हेतु 108 भागवत कथा के यजमान अपेक्षित है। अभी तक जो यजमान बने हैं, उनमें कुछ यजमानों की सम्पूर्ण राशि प्राप्त हो गई है और कुछ यजमानों की राशि आनी बाकी है। कार्यक्रम नजदीक आ जाने से अब व्यवस्थाओं व लाइव टीवी बुकिंग हेतु व आर्थिक पक्ष की पूर्ति हेतु अभी धनराशि की तत्काल आवश्यकता है। अतः आप सभी से अनुरोध है कि आप सभी अपनी बकाया राशि ट्रस्ट के बैंक खाते में जमा करवाएं और अपना पैन न. व्हाट्सएप करें। अभी तक 108 यजमानों में लगभग 25 यजमान बनने शेष हैं। अतः आप भक्तों में जो अब तक नहीं बन पाएं हों तो शीघ्र सम्पर्क कर यजमान बनें और लाभ प्राप्त करें। अपनें मित्रों, रिश्तेदारों और परिचितों को भी प्रेरित कर यजमान बना कर लाभ ले सकते हैं। बैंक खाता:श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट। 51042322500,IFSC.SBIN0031602 SBI PUSHKAR, 41830100006163 IFSC.BARB0GOVMAT MATHURA/GOVERDHAN

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *