इंजेक्टर गन के जरिए बिना दर्द के मरीजों को दी जा सकेगी डीएनए वैक्सीन

नई दिल्ली। दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन बनाने वाले अपने देश में अब बगैर सुई वाली 10 साल पुरानी तकनीक का इस्तेमाल पहली बार होगा। यह तकनीक ऐसी है, जिसमें टीका लगाते वक्त सुई का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। जायडस कैडिला ने इसके लिए एप्लीकेटर की कीमत भी तय कर दी है। इस एप्लीकेटर यानी इंजेक्टर गन के जरिए बिना दर्द के मरीजों को वैक्सीन दी जा सकेगी। जहां वैक्सीन की डोज के लिए लोगों को 265 रुपये खर्च करने होंगे, वहीं एप्लीकेटर के लिए अलग से 93 रुपये का खर्च आएगा। इंजेक्टर गन के जरिये वैक्सीन लगेगी, जिससे सुई की चुभन जैसा दर्द महसूस नहीं होगा। इस तकनीक में प्रयोग होने वाली इंजेक्टर गन सामान्य इंजेक्शन की तुलना में 50 गुना अधिक तेज है। इसे महज त्वचा पर रखकर थोड़ा दबाव देना होगा। इसके बाद गन के ऊपरी हिस्से में लगे सेंसर नसों की तलाश कर लेंगे और बटन दबाते ही वैक्सीन प्रति सेकंड 200 मीटर की रफ्तार से शरीर में प्रवेश करेगी। 0.3 सेंकड में वैक्सीन की एक एमएल खुराक नसों में पहुंच जाएगी जबकि एक व्यक्ति को कोरोना टीके की 0.5 एमएल खुराक ही दी जा सकती है। अभी इस टीके की कीमत तय नहीं है लेकिन कहा जा रहा है कि तीन खुराक वाली यह वैक्सीन 1900 से 2000 रुपये में उपलब्ध हो सकती है। फॉर्मा जेट से मिली जानकारी के अनुसार इंजेक्टर गन वाईफाई युक्त होगी। इसके ऊपरी सिरे पर सेंसर लगे हुए हैं जो खुद ही नसों की तलाश करते हैं। वैक्सीन लगने के बाद निचले सिरे पर लगी एक स्क्रीन में राइट का हरे रंग का निशान आएगा जो बताएगा कि वैक्सीन सही लगी है या नहीं। इंजेक्टर गन तक पहुंचाने के लिए एप्लीकेटर (एक उपकरण जिसके अंदर वैक्सीन होगी) का प्रयोग होगा। यह एप्लीकेटर अलग अलग आकार में उपलब्ध होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *