मुकदमों की वर्चुअल सुनवाई जारी रखना है समस्याजनक: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुकदमों की वर्चुअल सुनवाई जारी रखना समस्याजनक है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने मुकदमों की वर्चुअल सुनवाई को मुवक्किलों का मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग करने वाली एक याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इस याचिका को दिसंबर में सुनने का फैसला किया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने कहा कि वर्चुअल सुनवाई में कई तरह की समस्याएं हैं। पीठ ने कहा कि वर्चुअल सुनवाई जारी रखना परेशानी भरा है। पहले हम एक सामान्य दिन में 60 से 65 केसों की सुनवाई करते थे जबकि पिछले एक साल के अनुभव के बावजूद अभी 30 से 35 केस सुन पाते हैं। वर्चुअल सुनवाई में कई तरह की दिक्कतें आती हैं। जरनैल सिंह मामले (प्रोन्नति में आरक्षण) में कई वरिष्ठ वकील कोर्टरूम सुनवाई में मौजूद थे और वकीलों ने कहा था कि शारीरिक रूप से आकर सुनवाई में शामिल होना बहुत अच्छा लग रहा है। पीठ ने कहा, हम भी अब कोर्टरूम खोल रहे हैं। हमें पूरी तरह शारीरिक सुनवाई सुनवाई शुरू करने दीजिए फिर हम इस मामले को सुनेंगे। वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने मामले को उठाते हुए इसकी जल्द सुनवाई का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, न्याय की पहुंच प्रभावित हो रही है। आज याचिकाकर्ता कहीं भी बैठकर ये देख सकते हैं कि हम किस तरह काम कर रहे हैं। इसपर पीठ ने कहा कि 70 सालों से लोगों की न्याय तक पहुंच थी और आज अचानक कोर्टरूम सुनवाई से समस्या हो रही है। शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि सुनवाई का मिश्रित तरीका यानी कोर्टरूम और वर्चुअल दोनों तरह से सुनवाई कारगर नहीं है और अदालत को कोर्टरूम सुनवाई पर ही लौटना होगा। वर्चुअल सुनवाई नियम नहीं बन सकता।

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