तय समय पर आयोजित होगी सीबीएसई और सीआईएससीई बोर्ड की परीक्षाएं

शिक्षा। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने छह छात्रों द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) को हाइब्रिड मोड में टर्म 1 परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने अधिवक्ता संजय हेगड़े के माध्यम से दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस तरह के विलंबित स्तर पर इस पर विचार नहीं किया जा सकता है। सीबीएसई टर्म 1 की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं और सीआईएससीई की परीक्षाएं अगले सप्ताह शुरू होंगी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ताओं को आखिरी मिनट में रुकावट के खिलाफ चेतावनी दी। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा प्रणाली के साथ खिलवाड़ मत करो। अधिकारी अपना काम अच्छे से करें। अब बहुत देर हो चुकी है। पीठ ने कहा कि इस स्तर पर परीक्षा में खलल डालना अनुचित होगा, सरकार ने छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोविड-19 एहतियाती कदम उठाए हैं। परीक्षा केंद्र 6,500 से बढ़कर 15,000 हो गए। परीक्षा की अवधि 3 घंटे से घटाकर 1.5 घंटे कर दी गई, उम्मीद और विश्वास है कि अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे कि छात्र और कर्मचारी किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति में न आएं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि ऑफ़लाइन परीक्षा ने उन्हें कोविड-19 संक्रमण के जोखिम में डाल दिया है। याचिका में कहा गया है, ऑफ़लाइन परीक्षाओं के माध्यम से लगातार संपर्क में आने से कोविड-19 में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जो मनमाना और स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि परीक्षा का हाइब्रिड मोड समय की जरूरत है, क्योंकि यह सामाजिक दूरी को बेहतर बनाता है, लॉजिस्टिक बाधाओं पर तनाव कम करता है।

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