किसी से विमुख नहीं हो सकते है ईश्वर: दिव्य मोरारी बापू

राजस्‍थान/पुष्‍कर। परम पूज्‍य संत श्री दिव्‍य मोरारी बापू ने कहा कि सुदामाचरित्र, नवयोगेश्वरों का संवाद, दत्तात्रेय के 24 गुरुओं का संवाद, श्रीसुखदेव जी का अंतिम उपदेश, राजा परीक्षित के द्वारा श्री सुखदेव जी का पूजन, श्रीमद् भागवत कथा का विराम। ईश्वर न विमुख और न अप्राप्त। मनुष्य ईश्वर से विमुख हो सकता है, लेकिन ईश्वर कभी किसी से विमुख नहीं हो सकता। ईश्वर सदा- सदा के लिये हमारे सन्मुख ही है। वह कभी हमसे विमुख नहीं हो सकते। इसलिए कभी मत कहना कि आजकल भगवान् ने मुख फेर लिया है, भगवान मुझसे रूठ गया है, भगवान की कृपा कम हो गई है। ईश्वर की कृपा कम या ज्यादा कभी नहीं होती। हमारी अपकी अपेक्षाएं ही बढ़ जाती हैं, हमारी मांग बढ़ जाती है। हमारी इच्छाएं, कामनाएं बढ़ जाती हैं और उन कामनाओं की पूर्ति नहीं होती है, तो हम कहते हैं ईश्वर की कृपा कम हो गई। मनुष्य जो कामनाएं करता है, उनमें से कई कामनाएं निकम्मी होती हैं। मनुष्य की ऐसी इच्छा को पूर्ण नहीं करके भगवान् मनुष्य पर कृपा ही बरसाते हैं। ईश्वर कभी अप्राप्य नहीं है। प्राप्य ही है। मनुष्य ने ईश्वर को गंवाया कब है? खोया कब है? जो उसे पाना चाहता है। मनुष्य मनुष्य लाख कोशिश करे लेकिन ईश्वर को खो नहीं सकता और लाख कोशिश करे तो संसार को पा नहीं सकता। वास्तव में जिसको कोई पानी का उपाय नहीं है वह संसार है, और जिसको खोने का कोई उपाय नहीं है, वह परमात्मा है। शंभूगढ़ की पावन भूमि, श्रीरामदेव बाबा मंदिर श्री रामापीर का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में, श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा के सप्तम दिवस, भक्त सुदामा की मंगलमय कथा का गान किया गया और उत्सव महोत्सव मनाया गया।

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