लोगों की औपनिवेशिक मानसिकता देश को खींच रही है पीछे: पीएम मोदी

नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने खेद व्यक्त किया कि कुछ लोग राष्ट्र की आकांक्षाओं को समझे बिना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्र के विकास को रोकते हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर विकास परियोजनाओं के ठप होने के संदर्भ में पीएम मोदी ने कहा कि पर्यावरण की चिंता अब राष्ट्र के विकास को रोकने के लिए उठाई जा रही है। भारत में हम पौधों और पेड़ों में भी भगवान को देखते हैं और मातृभूमि को भी भगवान के रूप में देखते हैं। इस देश को पर्यावरण संरक्षण पर व्याख्यान दिया जा रहा है। दुख की बात है कि हमारे देश में ऐसे लोग भी हैं जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्र की आकांक्षाओं को समझे बिना राष्ट्र के विकास को रोकते हैं। पीएम मोदी ने बताया कि कैसे सरदार वल्लभभाई पटेल ने नर्मदा नदी पर एक बांध का सपना देखा था और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसकी आधारशिला रखी थी। लेकिन यह पर्यावरण प्रदूषण की चिंताओं के जाल में फंस गया। पीएम मोदी ने कहा कि लोगों की औपनिवेशिक मानसिकता देश को पीछे खींच रही है और इसे नष्ट करना होगा। उन्होंने कहा कि यह औपनिवेशिक मानसिकता है, जो हमारे युवा भारत के सपनों और आकांक्षाओं का गला घोंटने के लिए जिम्मेदार है। हमें इस औपनिवेशिक मानसिकता को नष्ट करना होगा और इसके लिए हमें भारतीय संविधान पर भरोसा करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका जुड़वां की तरह हैं, क्योंकि वे एक ही संविधान द्वारा स्थापित किए गए थे। उन्होंने कहा कि भले ही वे अलग दिखें लेकिन वे एक ही स्रोत से शक्तियाँ प्राप्त करते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका का जन्म संविधान से हुआ है। इसलिए हम जुड़वां हैं और भले ही हम अलग दिखते हैं। हम एक ही स्रोत से हैं। शक्तियों के बंटवारे पर उन्होंने कहा कि दोनों अंगों को सामूहिक जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा और आगे की राह तय करनी होगी।

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