फसलों को बीमारियों से बचाएगी प्राकृतिक खेती: वैज्ञानिक

हिमाचल प्रदेश। देश के किसान प्राकृतिक खेती अपनाकर ताम्र लस्सी का छिड़काव करके अपनी फसलों को बचा सकेंगे। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला में फसलों की बीमारियों पर नियंत्रण के दूसरे दिन कृषि वैज्ञानिकों ने मंथन किया। इस दिशा में किए जा रहे विभिन्न शोधों और अध्ययन के बाद किसानों को नई दिशा जरूर मिलेगी। धान, गेहूं, सब्जियों खासकर आलू और टमाटर को नुकसान से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को उत्तम माना गया है। देशभर से जुटे प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि किसी भी फसल को बचाने के लिए किसान प्राकृतिक खेती अपनाएं। फसलों को रोगों से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती से निपटना संभव है। इस तरह की खेती अपनाने वाले किसान खाद और कीटनाशक दवाओं पर होने वाले भारी खर्चे से बच सकते हैं। डॉ. एसके राणा ने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाकर सभी फसलों की पैदावार बढ़ाकर किसान वित्तीय स्थिति सुदृढ़ कर सकें गे। प्राकृतिक खेती में ताम्र लस्सी का छिड़काव करके कीटों और बीमारियों से निपटा जा सकता है। डॉ. राणा बताते हैं कि ताम्र लस्सी तांबे के वर्तन में 7 से 10 दिन तक रखी जाती है। इसके बाद इस लस्सी का फसलों में छिड़काव सात दिन के अंतराल में किया जाता है। कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि नीम के तेल से घोल तैयार करके फसलों को कीटों से बचा सकते हैं। डॉ. डेजी बसंदराई, पूजा श्रीवास्तव और रंगनाथा एससी ने भी प्राकृतिक खेती से फ सलों पर कीटों से निपटने पर अपने शोेध रखे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *