सेना के जवान हिमाचल के छह निजी विश्वविद्यालयों से ले सकेंगे उच्च शिक्षा

हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश के छह निजी विश्वविद्यालयों से भारतीय सेना के जवान और अधिकारी उच्च शिक्षा ले सकेंगे। आर्मी ट्रेनिंग कमांड शिमला के साथ मंगलवार को विवि प्रबंधनों ने एमओयू हस्ताक्षरित किए। पीएचडी सहित इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और सोशल साइंस में डिग्रियां लेना सैन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आसान हो जाएगा। इसके अलावा अनुसंधान और कौशल विकास करने में भी निजी विश्वविद्यालय मदद करेंगे। राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग की पहल पर सेना ने इस प्रस्ताव को सहमति दी है। हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग के तत्वावधान में शूलिनी यूनिवर्सिटी, चितकारा यूनिवर्सिटी, महाराजा अग्रसेन यूनिवर्सिटी, एटर्नल यूनिवर्सिटी, करियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी और जेपी यूनिवर्सिटी के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। आर्मी ट्रेनिंग कमांड में आयोजित कार्यक्रम में चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल जेएस संधू ने सेना की ओर से समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि समझौता ज्ञापन पत्र सेना और निजी विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग की नई संभावनाएं प्रदान करेंगे। सेना इन विश्वविद्यालयों में शैक्षिक कार्यक्रमों में शामिल होने के इच्छुक सभी सैन्य अधिकारियों को प्रायोजित करने पर सहमत हो गई है। बेसिक और एप्लाइड साइंस, फिजिकल साइंस, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और सोशल साइंस में पारस्परिक हित के क्षेत्रों में सहयोगात्मक अनुसंधान और इनोवेशन प्रदान करने को एमओयू हुए हैं। उन्होंने बताया कि सेना के जवानों को आवंटित की जाने वाली सीटों की संख्या प्रत्येक विषय में स्वीकृत संख्या से अधिक होगी। सभी पीएचडी एमओयू के तहत रिक्तियां संबंधित केंद्रों या विभागों में गाइड की उपलब्धता के अधीन होंगी। मेजर जनरल कौशिक ने कहा कि सेना और निजी विश्वविद्यालयों के बीच अग्रणी समझौता एक नया कदम साबित होगा। यह पहल उन सेवारत अधिकारियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी जो सेवानिवृत्ति के बाद भी इसका लाभ उठा सकते हैं। इस अवसर पर शूलिनी यूनिवर्सिटी से विशाल आनंद, चितकारा यूनिवर्सिटी से प्रो. वीएस कंवर, जेपी यूनिवर्सिटी से प्रो. राजेंद्र कुमार शर्मा, एटर्नल यूनिवर्सिटी से डॉ. दविंदर सिंह, करियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी से प्रो. करतार सिंह वर्मा और महाराजा अग्रसेन यूनिवर्सिटी से सुरेश गुप्ता मौजूद रहे।

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