पुष्कर/राजस्थान। राष्ट्रीय संत श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू। एतस्मादपरं किञ्चिमनः शुद्धयै न विद्यते। जन्मान्तरे भवेत्पुण्यं तदा भागवतं लभेत्।। साधना पथ की सफलता में मन की शुद्धि अति आवश्यक है। आजकल लोग वस्त्र बहुत अच्छे पहनते हैं लेकिन प्रश्न है हमारा वस्त्र पवित्र हैं या नहीं, हम लोग अनेक प्रकार के साबुन शैम्पू का प्रयोग करते हैं शरीर भी चमक रहा है, लेकिन फिर प्रश्न है हमारा शरीर शुद्ध है या नहीं, और अगर वस्त्र शुद्ध है, शरीर भी शुद्ध है, तो तो तीसरा प्रश्न है हमारा मन शुद्ध है या नहीं, निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।। भगवान श्रीराम को कपट, छल, छिद्र अच्छा नहीं लगता वह स्पष्ट कहते हैं कि निर्मल मन वाला व्यक्ति ही मुझे प्राप्त कर सकता है। ईश्वर की बात छोड़ो संसार में भी किसी को पता लग जाय कि इनका मन अच्छा नहीं है तो वो हम आप से दूरी बना लेगा। श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा मन को शुद्ध बनाने वाली है। पूर्व जन्मों के पुण्य जब फल देने के लिए प्रस्तुत होते हैं तो भागवत कथा सुनने को मिलती है। श्रीमद्भागवत महापुराण समस्त सिद्धांतों से निष्पन्न है। भागवत में सब कुछ आ गया, भागवत श्रवण करने के बाद कुछ भी सुनना शेष नहीं रह जाता है। भागवत भगवान व्यास की आखरी कृति है और आखरी कृति में लेखक का सम्पूर्ण ज्ञान आ जाता है। भागवत संसार के भय को मिटाने वाली है। संसार में व्यक्ति के पास एक ही भय है नष्ट होने का भय। हर व्यक्ति भयभीत है कि हमारे पास जो कुछ है वो नष्ट न हो जाय। भागवत श्रवण करने से भक्त भगवान् की शरण ग्रहण कर लेता है और उसके जीवन से भय समाप्त हो जाता है। भागवत सुनने से व्यक्ति निर्भय बन जाता है। भागवत भक्ति, ज्ञान, वैराग्य को बढ़ाने वाली है। भागवत श्रवण करने से श्री कृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं। भागवत श्रवण करने में चार सावधानी रखना चाहिए। वक्ता के द्वारा भागवत में जो सुनाया जा रहा है उस पर विश्वास। कथा विज्ञ बनकर नहीं अज्ञ बनकर सुनना हिए। अभिमान शून्य होकर कथा श्रवण करना चाहिए। नींद आने मत देना। मन को घर जाने मत देना। ध्यान, सत्संग, पूजा-पाठ में तन के साथ-साथ मन भी बैठे और ईश्वर की कृपा न हो ऐसा नहीं हो सकता है। कल रूपी सर्प के मुख का ग्रास प्राणी मात्र है, इसके भय को मिटाने वाली भागवत है, बार-बार जन्म मरण के चक्र से छुड़ाने वाली भागवत है। प्रभु के चरणों में पहुंचाने वाली भागवत है और जीवन को सफल बनाने वाली भागवत कथा है। श्रीमद्भागवत माहात्म्य में देवर्षि नारद और भक्ति का संवाद, आत्मदेव गोकर्ण संवाद और भागवत श्रवण की विधि सुनाई गयी। प्रथम स्कंध में मंगलाचरण का पाठ भी किया गया। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी वापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।