Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सद्गुरु की शरण, सद्गुरु द्वारा जब तक दीक्षा प्राप्त नहीं होती, तब तक जीवन शुद्ध और पवित्र नहीं बनता। परमात्मा भी संसार में आने पर सद्गुरु से दीक्षा लेने के लिए उनकी शरण में जाते हैं। सद्गुरु ही संसार सागर में माया रूपी मगर के जबड़े से मनुष्य का उद्धार करता है। किन्तु आजकल तो ऐसे सद्गुरु की उपेक्षा ही होती है और केवल पुस्तकीय ज्ञान का प्रचार होता है। इसी से मनुष्य का मस्तिष्क खाली हो गया है।
पुस्तक से शायद ज्ञान प्राप्त हो, किन्तु ज्ञान और समझ की स्थिरता तो सद्गुरु की कृपा से ही मिलती है। प्रयत्न से प्राप्त किया हुआ ज्ञान शायद अभियान ही पैदा करता है और व्यक्ति को कुमार्ग पर ले जाता है।, जबकि सद्गुरु की कृपा से मिला हुआ ज्ञान विनय, विवेक, सद्गुण और सदाचार की ओर ले जाता है।
सद्गुरु चलता फिरता ज्ञान-तीर्थ है। उसे जितेन्द्रिय और सर्वज्ञ होना चाहिए। ऐसे सद्गुरु यदि आज के समाज में न प्राप्त हों तो प्राचीन सन्तों को सद्गुरु मानकर उनकी शरण में तो अवश्य जाना चाहिए। जो सुख भोगता है, उसे दुःख भी भोगना पड़ा है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
इसे भी पढ़ें:-Petrol Diesel Price: पेट्रोल-डीजल के दामों में बड़ा बदलाव, एक मिस कॉल से जानें आज का लेटेस्ट भाव